SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूत्र विभाग ३७ www सम्बन्धी जो कोई अतिचार पक्खी दिवसमें सूक्ष्म या बादर जानते अजानते लगा हो वह सब मन, वचन, काया कर मिच्छामि दुक्कडं । अभ्यन्तर तप— “पायछित्तं विणओ०” शुद्ध अन्तःकरण पूर्वक गुरु महाराज से आलोचना न ली । गुरु की दी हुई आलोचना सम्पूर्ण न की । देव, गुरु, संघ, साधर्मी का विनय न किया । बाल, वृद्ध, ग्लान, तपस्वी आदि की वेयावच्च न की । वाचना, पृच्छना, परावर्त्तना, अनुप्रेक्षा, धर्म - कथा, लक्षण पांच प्रकार का स्वाध्याय न किया । धर्मध्यान, शुक्लध्यान ध्याया नहीं, आर्त्तध्यान, रौद्रध्यान ध्याया । दुःखक्षय कर्मक्षय निमित्त दशबीस लोगस्स का काउसग्ग न किया । इत्यादि अभ्यन्तर तप सम्बन्धी जो कोई अतिचार पक्खी दिवसमें सूक्ष्म या बादर जानते अजानते लगा हो वह सब मन, वचन, काया कर मिच्छामि दुक्कडं । वीर्याचार के तीन अतिचार - 'अणिगूहिय बलविरिओ ० ' - पढ़ते, गुणते, विनय, वेयावच्च, देवपूजा, सामायिक, पौषध, दान, शील, तप, भावनादिक धर्मकृत्यमें मन, वचन, कायाका, बलवीर्य पराक्रम फोरा (लगाया ) नहीं, विधिपूर्वक पञ्चाङ्गखमासमण न दिया । द्वादशावर्त्त वन्दन की विधि भले प्रकार न की । अन्यचित्त निरादर से बैठा देव वन्दन प्रतिक्रमण में जल्दी की । इत्यादि वीर्याचार सम्बन्धी जो कोई अतिचार पक्खी दिवसमें सूक्ष्म या बादर जानते अजानते लगा हो वह सब मन, वचन, काया कर मिच्छामि दुक्कडं । wwwwwmax www. " नाणाई अट्ठ पइवय, समसंलेहण पण पर कम्मे । बारस तव विरिअ तिगं, चउब्बीसं सय अइयारा ॥” “पडिसिद्धाणं करणे०” – प्रतिषेध- अभक्ष्य, अनन्तकाय, बहुबीजभक्षण, महाआरम्भ परिग्रहादि किया । देवपूजन आदि षट्कर्म, सामायकादि छ आवश्यक विनयादिक अरिहन्त की भक्ति प्रमुख करणीय कार्य किये नहीं । जीवाजीवादिक सूक्ष्म विचार की सद्दहणा न की । अपनी कुमति से उत्सूत्र प्ररूपणा की तथा प्राणातिपात, मृषावाद, अदत्तादान, मैथुन, परिग्रह, क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्वेष, कलह, अभ्याख्यान, पैशुन्य, रति, अरति, agnya फूल भन्न
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy