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________________ गनमा नाम नंगा । निम महयर गनीव बनें, जिन ग्यणायर ग्यमें बिकने जिम अंबर नागगण विकने निम गोयम गुरु केवल धनं ॥३५॥ पुनम निमिलिग नमियर लोह, मुग्नम महिमा जिम जग मौहे. पृन्य दिन जिन मामा । कंग ॥ पनानन जिम गिरिवर गजे. नर बई घर जिम गयगल गाने ।। निग जिन शासन मुनि पत्रगे ॥४०॥ जिम गुरु नम्बर लोहे माया. जिन उनम मुग्य मधुरी भाषा । जिम बन केनकि महमह. प. निम जमीपनि न्यबल चमकं । जिम जिन मन्दिर घण्टा रणकं. गोयम लये गाना ॥४१॥ चिन्तामणि कर चढियो आज, नुग्नक मारे बंडियनान । काम यसमा यगि हुआ ए. कामगी पूरे मन कामी ॥ अष्ट महानिर्मात आले धामी, सामी गोयम अणुनरि ॥२॥ पवरपर पहिलो पगीजे. माया । बीजी श्रवण नणी जं। श्रीमति नोभा नंभवा र दयां धर अमीन नी । ॥ विनय प. उक्त्राय श्री जे. इण मन्ये गायम नमी र पर यमन काय कर्गजे. दंग देशांतर काय भी जे । नया काज आयाम : संगे. प्रा उठी गोयम नमर्ग जे ॥ कान समन्गल, नविय नी. नत्र नि दिन निहां घर ॥ चवदय जय बाहार ग. गोयम गर दिय । किया रावत उपगार कंग. आदिहिं मंगल एप : . पाय मात्र पहिन्दी दी. ऋतिक कन्याग नागे ॥॥ मन मार'
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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