SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 463
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ నరసానం దండిగhter implantha पूजा-विभाग ४३६ ..... -BANKahele. ปังไขปังสักนักให้ได้ไปัตโตในสัดใจให้ใจได้ไพโดยคนได้ใจได้ -A - GEET ใน l ilialishi जगभान ॥ भ० ११ ॥ सौ योजण बलि पृथ्वी पिंड, इन पर सहस जोजनो कंड ।। भ० ॥ सहस योजन ऊपरला ढाल, प्रथम प्रतरनो भेद निहाल ॥ भ० १२ ॥ तीन सहस ऊंचो परमान, नारकी जीव रहे तिण ठान ।। भ० ॥ इन परतेरे प्रतर सुजान, तिन पर सहुने छे परमान ॥ भ० १३ ॥ नारकि जीव रहे तिण ठाम, शास्त्र थकी अवधीनो नाम ।। भ० ॥ प्रतर प्रतरको अंतर जोय सहस इग्यारे पांचसौ होय ॥ भ० १४॥ ऊपर तियासी योजन धार, इण पर दाखे सहु गणधार ॥ भ० ॥ असुरादिक दस देव निकाय, भवनपति ए सहु कहवाय ।। भ० १५ ॥ अंतर माह रहे ए देव, इम भाखें जिनवर नित मेव ॥ भ०॥ सात कोडने बहुतर लाख, भवन पतिना भवन ए दाख ॥ भ० १६ ॥ सहस योजन वलि नीचे जान, नारकी रहित भविक मद आन ॥ भ० ॥ एक लाखने असी हजार, प्रथम नरकनों पिंड विचार ॥ भ० १७ ॥ एक लाख बत्तीस हजार, दुजी नरक तणो अवधार ॥ भ० ॥ प्रतर इग्यारे कहा जगदीश, गुरु मुख थी धारो निस दीश ॥ भ० १८ ॥ एक लाख अट्ठाइस हजार, वालुक पिंड कहे गणधार ॥ भ० ॥ पंक प्रभानो पिंड विचार, एक लाख वलि वीस हजार ॥ भ० १९ ॥ पांचमी धूम प्रभानो पिंड, एक लाख अठारे कंड ॥ भ० ॥ एक लाख सोले हजार, छट्ठी तम प्रभानो अवधार ||भ०२०॥ सहस अठारे ने वलि लाख, सातमि तम तमानो ए दाख ॥ भ० ॥ इन पर सात राजनो भेद, सतगुरु भाखे धार उम्मेद ॥ भ० २१॥ शाश्वत चैत्य इहां जिन जान, ते वन्दों भवि गुणमणि खान ॥ भ० ॥ सुमति सदा सेवो जिनराज, वंछित पूरण ए महाराज ॥ भ० २२ ॥ ॐ ह्रीं चतुर्दश रज्वात्मके शाश्वता अशाश्वता जिनेन्द्राय अष्ट द्रव्यं मुद्रां यजामहे स्वाहा । द्वितीय चन्दन पूजा ॥दोहा॥ बावन चंदन कुंकुमा, मृगमदने घनसार । पूज करो जिनराजनी, उत्तम फल दातार ॥१॥ ไละไอได้ให้ได้ไงได้อใดไกลโกงกะโละชัดชัด HATHEphilmitiatimliliali-holistiaractersekeeTESTimi ในใจได้ใจคนดได้งมังใจใจจได้ไหะดฟัดดงดง ใeleได้ใจได้ในไดนใจ Maina.katri-MARATHI-HATTART-CET-HEET- ไว้ใจได้ ในวันนัดปัดไดใจ ไอไหนไม่ได้"
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy