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________________ Artishtakatt e पूजा-विभाग ॥ राग गोडी तथा पूर्वी ॥ मेरे प्रभुजी की आणंद, पूजो में ॥ वास भुवन मोह्यो सब लोए, संपदा भेलकी ॥ पूजा० ३ ॥ सत्तर प्रकारी पूजा विजय, देवा तत्ता थेई । अप्परमित्त गुण तोरा चरण नेवाकि ॥ पूजा० ॥ ४ ॥ कुंकुम चन्दनवासे, पूजीये जिनराज तत्ता थेई। चातुर्गति दुखें गौरी चातुर्थी धनकि ॥ पूजा० ॥ ५॥ पंचम पुष्पारोहण पूजा ॥दोहा॥ मन विकसे तिम विकसतां, पुष्प अनेक प्रकार । प्रभुपूजा ए पंचमी, पंचम गति दातार ॥ १ ॥ ॥राग कामोद ॥ चंपक केतकि मालति ए, कुंद किरण मुच कुंद। सोवन जाइ जूईका, बिउलसिरि अरविंद ॥ २ ॥ जिनवर चरण उवरि धर ए, मुकुलित कुसुम अनेक । शिव रमणीवाहवासे वर वरे, विधि जिन पूज | विवेक ॥ ३॥ ॥राग कानडा ॥ सोहेरी माई वरषे मन मोहेरी माई वरणे। विविध कुसुम जिनचरणे ॥ सो० ॥ विकसी हसिअ जंपे साहिबकू, राखि प्रभु हम .. सरणे ॥ सो० ४ ॥ पंचम पूजा कुसुम मुकलितकी, पंचविषय दुख हरणे । ॥ सो० ॥ कहे साधुकीरति भगति भगवंतकी, भविक नरा सुख करणे ॥सो०५॥ षष्ट मालारोहण* पूजा || राग आशावरी दोहा॥ छठी पूजा ए छती, महा सुरभि पुप्फमाल । गुण गूंथी थापे गले, जेम टले दुखजाल ॥१॥ * माला चढ़ावे। Buslaslatialaddindelaakhelastetaliliakisticialishaleticlestiatistialistialiliatalalithiasmakalilarialitilandilinkilakaisalciniaalilial-kalai kalelai -ARMAKAMAAYaasarahladisiakshimalayaNAMATAsahashmaithunt
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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