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________________ 4.1 ا * ,4 , ول ا يالالالالالالالالالالالالالالالالالالالالالالال ا لظلال والا ا ول ا ا सूत्र विभाग लोग-विरुद्धच्चाओ, गुरुजण-पूआ परत्थकरणं च । सुह-गुरु-जोगो तव्वयण-सेवणा आभवमखंडा ॥२॥ अरिहंत चेइयाणं सूत्र अरिहंत चेइयाणं करेमि काउसग्गं वंदणवत्तियाए, पूअणवत्तियाए, सकारवत्तियाए सम्माणवत्तियाए, बोहिलाभवत्तियाए, निरुवसग्गवत्तियाए सडाए, मेहाए, घिईए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वड्डमाणीए, ठामि काउसग्गं॥ आचार्य आदि को वंदन १ आचार्यजी मिश्र २ उपाध्यायजी मिश्र३ जंगम युग प्रधान भट्टारक मिश्रल ४ सर्व साधु मिश्र। सव्वस्सवि सूत्र सव्वस्सवि देवसिअ दुचिंतिय दुब्भासिअ दुचिट्ठिय तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ इच्छामि ठामि सूत्र ___इच्छामि ठामि काउसग्गं । जो मे देवसिओ अइयारो कओ, काइओ, वाइओ+ माणसिओ उस्सुत्तो उम्मग्गो अकप्पोअकरणिज्जो दुझाओ दुविचिंतिओ अणायारो अणिच्छिअव्वो असावग-पाउग्गो नाणेतह दंसणे चरित्ताचरित्ते सुए सामाइए ; तिण्हं गुत्तीणं चउण्हं कसायाणं पंचण्हमणुव्वयाणं तिहं गुणव्वयाणं चउण्हं सिक्खावयाणं बारसविहरस सावगधम्मरस जं खंडिअं जं विराहिअं तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ पुक्खर-वर-दीवड्ढे सूत्र पुक्खर-वर-दीवड्डे, धायइ-संडे अ जंबुदीवे अ। भरहेरवयविदेहे धम्माइगरे नमसामि ॥१॥ तम-तिमिर-पडल-विद्धंसणरस सुरगण-नरिंद महियरस । सीमाधररस वंदे, पप्फोडिअ-मोह-जालरस ॥२॥ । पर्नमान श्री पूज्या का नाम लेकर। माओ पाओ के पाठ में चाग, मन की सुक्ष्म आलोचना है। पुष्पग्यरदी में जान की म्नुनि है। Listratimarathtobahbkoseshathoastalotadeathstodalaalaakhootokulesonasiatooloota'shakstattirthatahalatakatantal i ...10.10t....................
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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