SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 331
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ అ నునతనయుడు తనన ననన .chatarnatasatisticate . ३०६ r at .. .man...................... .................. జనవరhattarts starti. o ale-r--E-Indi-r-r-triARI-Mathurfitti-tab తలువడుతుందని మనవంతుడు మనవడు पूजा-विभाग में गया सवि निर्जर। कहतां प्रभु गुणसार ॥ दीक्षा, केवल ज्ञान, कल्या णक इच्छा चित्त मझार ॥ सो० ६१॥ खरतरगच्छ जिन आणारंगी.। । राजसागर उवज्झाय ॥ ज्ञान धरम दीपचंद सुपाठक । सुगुरू तणे सुपसाय ॥ सो० ६२॥ देवचन्द्र जिन भगतें गायो जनम महोच्छव छंद ॥ बोधबीज अंकूरो उलस्यो ॥ संघ सकल आणंद ॥ सो० ॥६३॥ ॥ ढाल ॥ इम पूजा भगतें करो। आतम हित काज ॥ तजिय विभव निज भावना। रमतां शिवराज ॥६॥ इ० ॥ काल अनंते जे हुवा । होसे जेह जिणंद । संपई सीमंधर प्रभु। केवल नाण दिणंद ॥इ०॥ ६५ ॥ जनम महोछव इण परे, श्रावक रुचिवंत । बिरचे जिन प्रतिमा तणो, 1 अनुमोदन खंत ॥ इ० ॥६६॥ देवचन्द्र जिन पूजना । करतां भवपार । जिन पडिमा जिन सारखी । कही सूत्र मझार ॥ इम० ६७ ।। . अष्ट प्रकारी पूजा जल पूजा ॥ दोहा ॥ गंगा मोगध क्षीरनिधि, औषध मिश्रित सार । कुसुमे वासित शुचिजलें, करो जिन स्नात्र उदार ॥१॥ ॥ ढाल ! मणि कनकादिक अडविध , करि भरि कलस सफार । शुभ रुचि जे जिनवर नमें तसु नहिं दुरित प्रचार ॥ मेरु शिखर जिम सुरवर जिनवर। हवण अमान । करता वरता निज गुण समकित वृद्धि निधान ॥२॥ ॥छन्द ॥ : . हर्ष भरि अपसरावन्द आवे । स्नात्र करि एम आसीस भावे । जिहां लगे सुरगिरि जंबु दीवो । अमतणा नाथ जीवातिजीवो ॥३|| ..furt-REATML----r-teria-52-61-- r మనువడుతుం . .. డ ...... గా . ..........font.......... Natatantalita . . . यह पूजा पढ़ने के बाद जल से स्नान करावे । -14 - 14 .
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy