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________________ Radhkrtekbesooby-ebdayaparbatook-recteristylentikki-basRAT-Akhasathisrg २३८ जैन-रत्नसार PRIdolrala- .... wwwwwwwwwwwwwwwwwww wwwww.orru wrwww REKATA नमनत्यनयन प्रधानमत्रतत्रमनधनपत्रणप्रत्रत्रवन नत्रनमन्त्रन्त्र भेट मन्त्र अर्हन्त ईशा सकलाश्च सिद्धा आचार्यवर्या अपिपाठकेन्द्रा मुनीश्वराः । सर्व समीहितानि, कुर्वन्तुरत्न त्रययुक्तभाजः । इस मन्त्रके पढ़ने पर भेटना चढ़ा दे। फिर दशदिक्पालों का आवाहन कर हाथमें कुसुमाञ्जली लेवे मंत्र बोलने पर छिड़क दे। दशदिगपाल आवाहन मन्त्र दिक्पाला सकला अपि प्रतिदिशं स्वस्वंबलं वाहनम्, शस्त्रहस्तगतं विधाय भगवतस्नात्रे जगदुर्लभे । आनंदोल्वणमानसा बहुगुणां पूजोपचारोचयं, सन्ध्यायाप्रगुणं भवन्ति पुरुतो देवस्थलब्धासन ॥१॥ इस मन्त्रके पढ़ने पर कुसुमाञ्जली पट्टे पर छिड़क दे और दशदिक्पालों के पट्टे की पूजन। Y ENAMEANAMANA-NAMANAYankhilaashaliliale AHATMANAAMKAnkaiatientedindialistialishantaba करे। nanaa प्रबलन प्र इन्द्रदिग्पाल पूजन मन्त्र ॐ इन्द्राय पूर्व दिगधीशाय सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय अस्मिन् जम्बुद्वीपे दक्षिणाई भरतक्षेत्रे अमुक नगरे अमुक जिन चैत्ये अमुक पूजा महोत्सवे अमुकाराधिते अत्रागच्छ अत्रागच्छ सावधानीभूय बलिं गृहाण बलिंगृहाण जलंगृहणन्तु चन्दनं गृहणन्तु पुष्पं गृहणन्तु धूपं गृहणन्तु दीपं गृहणन्तु अक्षतंगृहणन्तु नैवेद्यं गृहणन्तु फलं गृहणन्तु सर्वोपचारान्मुद्रां गृहणन्तु शान्तिं तुष्टिंपुष्टि ऋद्धिवृद्धि उदयं अभ्युदयं कुरु कुरु स्वाहा । ॐ ह्रीं श्रीं इन्द्राय नमः। यह मन्त्र पढ़कर इन्द्र दिग्पाल पर पान चढ़ावे अग्नि दिग्पाल पूजन मंत्र ॐ अग्नये सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय अस्मिन् जम्बुद्वीपे दक्षिनोट-जहां कहीं भी शान्ति पूजा अढ़ाई महोत्सव, नवपदमण्डल पूजा हो उसमें उस नगर का नाम, मन्दिरजी के मूलनायकजी का नाम, करनेवाले का नाम अमुक' शब्द को जगह, बोलना चाहिये और जहां जो नदी हो उसका नाम भी कहना चाहिये। n aanindian armara t ipatel जातन्त्र प्रता Kग्रस्ययनमगतग्रमण प्रयत्न करत प्रयत्न
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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