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________________ amour wwwwwwwwwwwwwwa.maavasna rathaKratantrtantraKAREstimattarthrithth threathtakitant-fake-tula fat-RAM विधि-विभाग । २२६ रे। च्यार से गुण तीस शोभता रे, बिम्ब अनोपम राव रे प्र० ॥५३॥ मूल नायक पार्श्व प्रभुतणी रे, प्रतिमा साकर वसि मांय रे। और तैयासी । बिम्ब छ रे, नयणे दीठां सुख पाय रे प्र० ॥५४॥ आदिनाथ छीपा वसी रे, बीस बिम्ब सुविशाल रे। नवमी खरतर वसी बिम्बनी रे, ओपमा रवि जिम भाल रे प्र० ॥५५॥ आदिसर चौमुख तणी रे, प्रतिमा चार सुखदाय रे। और बिम्ब तेवीस सै रे, पंचदश देख्यां मन भाय रे प्र० ॥५६॥ वारे सहस त्रिण सै ऊपरे रे, अठावन बलि होय रे । इम नववसि सहु बिम्बनी रे, संख्या कही में जोय रे प्र० ॥५७॥ पांडव मन्दिर जाणिये रे, मरुदेवी ट्रंक सुखकार रे । शासन देवीनी मंदरी रे, नेमचवरी धर्मद्वार रे प्र० ॥५८॥ रायण तल पगला नमू रे, गणधर मन्दिर जाय रे । चवदे से बावन तणा रे, नित नित प्रणमं पाय रे प्र० ॥१९॥ पुण्डरीक छवि मोहिनी रे, देख्या मन वस थाय रे । भीम कुंड शुचि जल भरयो रे, सूर्य कुण्ड जल नाय रे प्र० ॥६०॥ त्रिण षट् बारे गाउनी रे, भमती देउ तीन रे। उलका झोलहु दरसण करी रे, सिद्ध शिला सिद्ध चीण रे प्र० ॥६१॥ चेलणा तलाई में शोभती रे, अजित शान्ति धुंभ आत रे। भाडवा डूंगर हस्तगिरि रे, कदमगिरि कीनी जात रे प्र० ॥६२॥ इत्यादिक दरशण करी रे, सिद्ध बड़ सेवू आय रे । अगणित चरण प्रभुतणा रे, नमन करूं मन लाय रे प्र० ॥६३॥ देवपुरी जिम सोभतो रे, डूंगर अतिहि · विशाल रे। सहु जनपदना जातरी रे, पूजे सहस मिल भाल रे प्र० ॥६४॥ इम सिद्धगिरि मन लायने रे, त्रिकरण नमूं तिहुं काल रे। और नमूं सहु भव्यने रे, जे शुद्ध आज्ञा पाल रे प्र० ॥६५॥ प्रतिदिन ए गिरिवर चढ़ी रे, अष्ट द्रव्य । लेइ हाथ रे । द्रव्य भाव पूजा करे रे, मोहन सहु जगनाथ रे प्र० ॥६६॥ (दोहा)-इण परि संख्या बिम्बनी, करि आतम सुखदाय । अधिक बिम्ब कोई थापसी, नमसुं चित्त लगाय ॥६७॥ मन्द बुद्धि संयोग से, रही होय कछु भूल । तोपिण ओगुण छांडके, संघ हुवे अनुकूल ॥६८॥ प्रवल पुण्य संयोग से, मुझ सरिया सव काज । दरशण पायो गिरि तणो, पाम्यो जग यश आज ॥६९|| दान शील तप भावना, भेद धरमना चार । भाव बिना ప్రమునుండి తనను మతతతమవుతుందని మంతకమణిపోతుతనమును మనము 16604rantik ----...--.---.. నందుకు
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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