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________________ నుండి నడుము చుటttalat h tahatahattarintibiotitatitis sistatatatatats १७८ जैन-रत्नसार गनपत्र salelandisialistkilatiotailiticlestiotilakobalatkariilialilialilinderinlannel बनननननननननननननननननननयमन प्रस्त-ऋग्रस्ट प्रबल सबल घनमोह हरण कू, अनिल समो गुणवाणी जी। क्षमा सहित जे संयम पाले, आचारज गुणध्यानी जी ॥१॥ उपाध्याय पद की २५ जयति १ आचारांग सूत्र पठनगुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । २ सुयगडांग सूत्र पठन गुण युक्ताय श्रीउपाध्याय नमः । ३ श्री ठाणांग सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः। ४ श्री समवायांग सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । ५ श्री भगवती सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । ६ श्री ज्ञाता सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । ७ श्री उपाशक दशा सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । ८ श्री अंत गड दशा सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । ९ श्री अणुत्तरोववाई सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १० श्री प्रश्न'व्याकरण सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । ११ श्री विपाक सूत्र पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १२ उत्पाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १३ आग्रायणी पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय * नमः । १४ वीर्य प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १५ । अस्ति प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १६ ज्ञान प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १७ सत्य प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १८ आत्म प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । १९ कर्म प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । २० प्रत्याख्यान प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । २१ विद्या प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । २२ अबिंध्य प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । २३ प्राणायाम प्रवाद पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय. नमः । २४ क्रियाविशाल पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । २५ लोक बिन्दुसार पूर्व पठन गुण युक्ताय श्री उपाध्याय नमः । * उपाध्याय महाराज २५ गुणोंकरके सहित होते हैं, वर्तमानमें ११ अङ्ग १२ उपाङ्ग ६ छेद ग्रंथ १० पइण्णा ६ मूलसूत्र इन ४५ आगमोंके जानकार होने चाहिय ।। KHATEENEMNANGIKARATETrkinrokarist.tokistantitariksha k t-Kaantertainsteacticalbactatulati k alaatkaristo नत्रजननयनमन्त्र Paamrosगधग्रनल्यऋणयप्रणप्रणश्रवस्त्रअननननननयमावली
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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