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________________ 57hh?q°** 19199191911111 जन-रनसार पलस पढ़ १ नमोलौकिक थरि देशका लोकोत्तर स्थविराय नमः | २ देशस्थरि देशका लोकोत्तर स्वगय नमः | ३ ग्रामस्यविर देशका लोकोतर स्थविराय नमः | १ कुछ स्यविर देशाकाय लोकोत्तर स्थविराय नमः | " लौकिक कुल यरि देशका लोकोत्तर स्यविराय नमः | ६ लौकिक गुरु यावर देशका लोकोत्तर स्थविराय नमः | ७ श्री लोकोत्तर श्रीनंव म्यविराय नमः | ८ लोकोत्तर पर्याय स्थविराय नमः | ९ लोकोत्तर श्रुत विराय नमः | १० लोकोत्तर वय न्यविराय नमः | 2 पद्म पढ़ १ श्री आचारात पाठकाय नमः | २ श्रीमुअगडाङ्गथून पाठकाय नमः | ३ श्रीसमवायाङ्गथुन पाठकाय नमः | १ श्रीटाणामथुन पाठकाय नमः | ५ : श्रीभगवती पाठकाय नमः | ६ श्री ज्ञाना धर्मकथा त पाठकाय नमः । • श्री उपाशकानुन पठाय नमः | ८ श्री अन्नगाश्रुन पाठकाय नमः । ९ श्री अनुत्तरं । बवाईथुन पाठकाय नमः | १० प्रश्नव्याकरणशु पाठकाय नमः | ११ श्री विशद्भुत शटकाय नमः | १२ श्री उबाइउपा ङ्गथुन पाठकाय नमः | १३ श्री रायणी उपाङ्गश्रुत पाठकाय नमः | १४ श्री जीवाभिराम उपघटकाकया । १५ श्री प्रज्ञापन्ना पण उपाङ्गयुग पाठकाय नमः । १६ श्रीकृति उपाजन पाठकाय नमः | १० श्री चक्रमर्जनिपणत्ति उपयुक्त पाठकाय नमः | १८ श्री १५ श्री निरयावली उपङ्गसूर्यनक्षति आथुन पाठकाय नमः । शुन पटकाय नमः २० भी कपिका उपन पटकाय नमः | २६ श्री पुस्तचलिआ उपाङ्गदुत पटकाय नमः | २२ श्रीफिका उधृत पाठकाय नमः | २३ श्री दिशा आहेत पाठकाय नमः | २४ श्री पाठकाय नमः | २: श्री नानार्थव्यय नमः । पढ ९ पृणीय क्षयः सर्वाय नमः । अपाय न गर्द """ 7
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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