SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ sktotket.threlatiotar-Joshdscarnaloadhintaina-ress rooplesonlistadirlbrielatinodishaasakolasiaki.lioloss talatalashtakasatistatehetatusher Eentacthermonsooktat e 5065 daalagh aliK विधि-विभाग १२६ "हे भगवन् मेरे आठों कर्मों का नाश हो और मुझे मुक्ति पद हासिल । हो।” ऐसा चिन्तवन करते हुए फल चढ़ावे तथा सात बत्ती की आरती करे। ऐसा कह पूर्ववत् चैत्यवन्दन करे और तीन बार आवस्सहि कह कर घर जावे। श्री जिनमन्दिर सम्बन्धी चौरासी आशातनाएं १ श्री जिनमन्दिर में खांसना ( कफ़ गिराना )। २ जुआ खेलना (गंजीफा, चौपड़ ताश, शतरंज खेलना)। ३ कलह क्लेश ( झगड़ा) - करना । ४ धनुष आदि की कला सीखना । ५ कुल्ला करना । ६ दांत का में मैल गिराना । ७ पोन खाना । ८ पान का पीक थूकना । ९ गाली देना। है १० टट्टी पेशाब करना । ११ हाथ पैर धोना । १२ फोड़े का ( खुरण्ड) चमड़ा उतारना । १३ कंधे से बालों को बाहना। १४ नख कतरना । १५ रुधिर (खून ) गिराना । १६ भोजन करना ( मिठाई, फल वगैरह खाना )। १७ औषधि ( दवाई ) खाकर पित्त गिराना। १८ वमन या उल्टी करना। १९ दांत गिराना । २० हाथ पैरों में तेल की मालिश करवाना । २१ घोड़ा हाथी आदि चार पांव वाले जानवरों को बांधना । २२ आंख का मैल (गीड ) गिराना । २३ नख का मैल निकालना । २४ गाल का मैल गिराना । २५ नाक का मैल निकालना । २६ माथे का मैल गिराना । २७ शरीर का मैल गिराना । २८ कान का मैल निकालना तथा निकलवाना। २९ भूत, प्रेत, काचाकलुआ, वशीकरण मन्त्र आदि साधन करना । ३० विवाह, सगाई आदि करने के लिये पञ्चायत इकट्ठी करना । ३१ व्यापार, लेन, देन का हिसाब करना । ३२ मन्दिर की : दिवाल में गोवर के कण्डे थापना या गोबर का ढेर करना। ३३ राज का काम वांट देना । ३४ भाई प्रमुखों को धन बांटना । ३५ घर का खजाना। गजा, चौर आदि के भय से मन्दिरजीमें रखना । ३६ पैर पर पैर चढ़ाकर • फोड़े या फुन्सी के सूखे हुए चमड़े को खुरण्ड कहते है। alagaukestrabalicotiladkiynkaniilarilaletiatroiskoolutalkinkalalalat-letstatetri-Mantrietalatka riwar 17
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy