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________________ जन-रत्नसार १०८ ५ आगाढ़े मज्झे पासवणे अणहियासे । ६ आगाढ़े दूरे पासवणे अणहियासे । ७ आगाढ़े आसणे उच्चारे पासवणे अहियासे । ८ आगाढ़े मज्झे उच्चारे पासवणे अहियासे । ९ आगाढ़े दूरे उच्चारे पासवणे अहियासे । १० आगाढ़े आसणे पासवणे अहियासे । ११ आगाढ़े मझे पासवणे अहियासे । १२ आगाढ़े दूरे पासवणे अहियासे । १३ अणागाढ़े आसणे उच्चारे पासवणे अणहियासे । १४ अणागाढ़े मझे उच्चारे पासवणे अणहिया से । १५ अणागाढ़े दूरे उच्चारे पासवणे अणहियासे । १६ अणागाढे असणे पासवणे अणहियासे । १७ अणागाढ़े मज्झे पासवणे अणहियासे । १८ अणागाढ़े दूरे पासवणे अणहियासे । १९ अणागाढ़े आसण्णे उच्चारे पासवणे अहियासे । २० अणागाढ़े मज्झे उच्चारे पासवणे अहियासे । २१ अणागाढ़े दूरे उच्चारे पासवणे अहियासे । २२ अणागाढे आसणे पासवणे अहियासे । २३ अणागाढ़े मझे पासवणे अहियासे २४ अणागाढे दूरे पासवणे अहियासे । इनमें से ६ थंडिले शय्या के दोनों तरफ दाहिनी ओर तीन और बायीं ओर तीन पडिलेहे । ६ थंडिले दरवाजे के भीतर दोनों तरफ दाहिनी ओर तीन और बायीं ओर तीन पडिलेहे । ६ थंडिले दरवाजे के बाहर दाहिनी और बायीं तरफ पडिलेहे और अन्तिम ६ जहां उच्चार प्रश्रवण की जगह हो वहां दोनों दाहिनी और बायीं तरफ पडिले | अब प्रतिक्रमण का समय हो गया हा तो प्रतिक्रमण करे । प्रति Jaberest class taste Jontact to stoo osteotect
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
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