SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ A Hamruduwwwwwwwwarnamananews विधि-विभाग १०१ तथा सम्वत्सरीके स्थान पर देवसी कहना' कहनेपर सब 'यथाशक्ति' कहे । पीछे दो वन्दना देकर सदैव की भांति देवसिक प्रतिक्रमण करे। विशेषता इतनी है कि श्रुतदेवता का काउसग्ग करके 'कमल दल विपुल नयना०२' आदि श्रुतदेवी की थुइ कहे । फिर 'भुवण देवयाए करेमि काउसग्गं, अणस्थ' कह के एक णमोक्कार का काउसग्ग पार कर 'ज्ञानादि गुण युतानां इत्यादि भुवन देवता की थुई कहें । बादमें क्षेत्रदेवता का काउसग्ग पार कर 'यस्या क्षेत्र समाश्रित्य' थुई कहें और 'बड़ा स्तवन' 'अजित शांति' बोले और पक्खी प्रतिक्रमण की तरह प्रतिक्रमण पूर्ण होने पर गुरु से आज्ञा लेकर 'नमोऽर्हत०' पढ़ के एक श्रावक 'वृहद् शांति' बोले और शेष सब सुनें । फिर पूर्वोक्त रीति से सामायिक पार कर अन्त में दादाजी का स्तवन बोले । आठ प्रहर पौषध विधि पोसह के उपगरण ले उपाश्रय ( पौशाल ) में जावे । वहां अगर गुरु महाराज न हों तो सामायिक विधि के अनुसार स्थापनाचार्यजी की स्थापना करके गुरु वन्दन करे। तदनन्तर एक खमासमण दे 'इरियावहियं०३' तस्स उत्तरी• अणत्थ० का पाठ बोल, एक लोगस्स का काउसग्ग कर प्रगट लोगस्स०कहे। बाद एक खमासमण दे इच्छाकारेण संदिसह भगवन् !पोसहलेवा मुंहपत्ति पडिलेहूं ?' 'इच्छं' ऐसा कहकर मुंहपत्ति की पडिलेहणा करे। तत्पश्चात् एक खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! पोसह संदिसाहूं ? इच्छं' फिर खमासमण दे 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! पोसह ठाउं ? इच्छं ऐसा कह एक खमासमण दे खड़ा हो जावे तथा हाथ जोड़, • आधा अंग नमा तीन णमोक्कार गिनकर 'इच्छाकरण संदिसह भगवन् ! . पसायकरी पोसह दंडक उच्चरावोजी' कह पोसह का पच्चक्खाण गुरु या । बृद्ध श्रावक से या स्वयं ही तीन बार उच्चर ले । rthataliekantisfaileakakirlink-eth.kirtaliticismatalalalamlanationalishalmlaimininelanielaminatinlisatelkarinanastatistianitiladkikaliNi k itsamlili a telentiakiathlaatmlailaaleeletoinlallaletkalika-includhiarthrithil-S १-पृष्ठ ६। २-पृष्ठ २२१३-पृष्ठ ३ । alary
SR No.010020
Book TitleJain Ratnasara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuryamalla Yati
PublisherMotilalji Shishya of Jinratnasuriji
Publication Year1941
Total Pages765
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy