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________________ जैनराजतरंगिणी ने, २१वर्ष तथा बालक मुहम्द शाह ने २ वर्ष तक राज्य किया था। उक्त सुल्तानों का राज्य काल स्वल्प था। उनके जीवन काल मे कोई महत्त्वपूर्ण घटनायें नही घटी थी। केवल पारस्परिक संघर्ष कुछ हुआ था। अतएव उसने किसी एक सुल्तान के विषय मे न लिखकर, २७ वर्षों का आँखों देखा इतिहास लिखना उचित समझा। श्रीवर पर्वकालीन इतिहास नही लिख रहा था। इसलिये वह पूर्वकालीन इतिहास ग्रन्थों तथा अपने इतिहास सामग्री के विषय में कुछ प्रकाश नहीं डालता । आँखों देखा इतिहास लिखा है। उसे किसी सहायक ग्रन्थ अथवा अन्य बाह्य स्रोतो की आवश्यकता नही थी। उसका सम्बन्ध बाल काल्य से ही सुल्तानों के साथ था। उसका पुत्रवत् पालन जैनुल आबदीन ने किया था। तत्कालीन सूक्ष्म से सूक्ष्म बार्ते विस्तार के साथ उसे मालूम थीं | जैनुल आबदीन की मृत्यु के पश्चात, हैदर शाह की उस पर कृपा थी। सुल्तान हसन शाह, उसे अपना गुरु मानता था। उसे इतिहास प्रणयन सम्बन्धी सभी बातें ज्ञात थी। यही कारण है। वर का वर्णन विस्तत है। तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक आदि परिस्थितियों का उसकी रचना में सजीव चित्रण मिलता है। उसने अपने अनुभव एवं ज्ञान के कारण जीवनमय वर्णन किया है। उसने प्रथम तरंग में जैनुल आबदीन के उत्तरार्ध जीवन, तरंग द्वितीय में हैदर शाह, तरंग तृतीय में हसन शाह और चतुर्थ तरंग मे सात वर्षीय शिशु सुल्तान मुहम्मद शाह के दो वर्षों के शासन मे सैयिद्र, एवं खान विप्लव के साथ ही साथ, फतह शाह की राजप्राप्ति का वर्णन किया है। वह इसी से प्रकट है कि जैनुल आबदीन के ११ वर्षों का ८२० श्लोकों, हैदर शाह के २ वर्षों का २१९ श्लोकों, हसन शाह के १२ वर्षों का ५६४ श्लोकों तथा मुहम्मद शाह के २ वर्षों का ६५६ श्लोकों मे वर्णन किया है। कल्हण ने लौकिक संवत् ६२८ = कलि ६५३ से लौकिक संवत् ४२२५ वर्ष अर्थात् ३५९७ वर्षों का इतिहास ७८३०, जोनराज ३०० वर्षों का इतिहास ९७६ श्रीवर २७ वर्षो का इतिहास २२४१ तथा शुक ने २७ वर्षों का इतिहास ३९८ श्लोकों मे लिखा है। उक्त आँकड़ों से प्रकट होता है। श्रीवर ने विस्तार से इतिहास रचना की है। तत्कालीन किसी घटना का बिना उल्लेख किये नही छोड़ा है। यह केवल एक प्रत्यक्षदर्शी के लिये ही सम्भव था। उसका यह ऐतिहासिक संस्मरण इतिहास जगत् की अमूल्य निधि है। उसके विश्लेषण एवं गम्भीर अध्ययन से भारतीय तथा काश्मीर सीमान्त की अनेक अज्ञात बातें ज्ञात हो सकती है। श्रीवर का इतिहास प्रादेशिक है। जोनराज एवं शुक के समान है, काश्मीर का शुद्ध इतिहास है । उसका इतिहास वर्णन आधुनिक इतिहास वर्णन शैली के बहुत समीप है। ___इतिहास या संस्मरण : भूतकाल की बातें इतिहास में लिखी जाती है। कल्हण ने भूतकालीन तथा समकालीन राजाओं का वृत्तान्त लिखा है। जोनराज भी कल्हण के समान भूतकालीन तथा समकालीन सुल्तानों का वर्णन लिखा है। उक्त दोनों राजतरंगिणीकार भूत एवं वर्तमान दोनों कालों के राजाओं का इतिवृत्त लिखे थे। श्रीवर एवं शुक ने वर्तमान इतिहास लिखा है। समकालीन राजाओं का इतिवृत्त वर्णन किया है। भूतकालीन किसी राजा का वर्णन उनमें नहीं मिलता। अपनी आँखों देखी बाते लिखी है। उसका उद्देश्य आँखों देखा इतिवृत्त लिखना था। भूत एवं वर्तमान मे जितना अन्तर है, उतना ही भूत एवं वर्तमान इतिहास लिखने के दृष्टिकोणो में अन्तर है। वर्तमान इतिहास के पात्र एवं द्रष्टा उपस्थित रहते है। वे इतिहास की आलोचना-प्रत्यालोचना कर सकते है। विरोधी बातें होने पर, इतिहासकार विपत्ति मे पड़ सकता या। राज्य कृपा से वंचित हो सकता था।
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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