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________________ ३०२ जैनराजतरंगिणी [२. १७८-१८२ अत्रान्तरेऽझदायुक्तः संमन्व्य सचिवैः सह । बहामखानमागत्य युक्तमित्यब्रवीद् वचः ॥ १७८ ॥ १७८. आयुक्त अह्मद' ने इसी बीच, सचिवों के साथ मन्त्रणा करके, बह्राम खाँन से आकर, यह उचित बात कहीउत्तराधिकार एवं बहराम खाँन : __ स्वामिहैधरशाहोऽद्य समर्प्य स्ववयस्त्वयि । सुगृहीताभिधो भ्राता प्रयातः कीर्तिशेषताम् ।। १७९ ।। १७९. 'सुगृहीतनामा भ्राता हैदरशाह अपनो आयु तुम्हें समर्पित कर, आज दिवगत' हो गये ज्येष्ठोऽधुनावशिष्टस्तद्भवान् भज नृपासनम् । स्वयं हस्सनखानाय यौवराज्यं प्रदीयताम् ॥ १८० ॥ १८०. 'अब ज्येष्ठ बचे आप स्वय नृपासन ग्रहण करें, और हस्सन खॉन को युवराज' पद प्रदान करें त्वत्पित्रा महतो यत्नाद् रक्षिता चकिता सती । सेयं त्वयाद्य नगरी पाल्या कुलवधूरिव ।। १८१ ।। १८१. 'तुम्हारे पिता द्वारा महान प्रयत्न से रक्षित, इस नगरी को जो कि चकित है, सती कुलबधू के समान अब तुम पालित करो किमन्यत् पुरलुण्टाकाः काका इव बलिप्रियाः। यथागतं प्रयान्त्वेते कुशब्दा मलिनत्विषः ॥ १८२ ।। १८२. 'दूसरा क्या कहे ? काक सदश बलिप्रिय, कुत्सित शब्द एवं मलिन कान्ति युक्त, ये पुर को लूटनेवाले यथागत लौट जाँय ।' पाद-टिप्पणी : नवादरुल अखवार (पाण्डु० : ४९ बी०) में १७८. (१) अह्मद : अहमद येत नाम राज्यकाल १ वर्ष, १० मास तथा मृत्युकाल १३ फारसी इतिहासकारों ने दिया है। आयुक्त का अप्रैल सन् १४७२ ई० दिया गया है। वह अपने अपभ्रंश यतू मालूम पड़ता है । पिता के समीप दफन किया गया। हैदरशाह के मृत्युकाल का तवक्काते अकबरी पाद-टिप्पणी: तथा फिरिस्ता से कुछ पता नहीं चलता। किन्तु १७९. (१) दिवंगत : फिरिश्ता के अनुसार प्राप्त प्रमाणों के आधार पर अनुमान लगाया जा १४ मास शासन करने के पश्चात् हिजरी ८७८ = सकता है कि सुल्तान की मृत्यु सन् १४७३ ई० = सन् १४७३ ई० में सुल्तान की मृत्यु हो गयी। ८७८ हिजरी मे हुई थी। तवक्काते अकबरी मे राज्यकाल एक वर्ष, दो पाद-टिप्पणी : मास दिया है परन्तु मृत्युकाल का समय नहीं दिया १८०. (१) युवराज : द्रष्टव्य पाद-टिप्पणी: है ( ४४७ = ६७५ )। ॥ १:२:५।
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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