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________________ ११० जैन राजतरंगिणी । अन्येद्यु र्मानितं दृष्ट्वा जनकेन निजानुजम् । आदमखानो वित्राणः संत्रस्तोऽगाद् दिगन्तरम् ।। ११३ ।। ११३. दूसरे दिन जनक' (पिता) द्वारा अपने भाई को सम्मानित देखकर, सन्त्रस्त आदम खाँ त्राणरहित दिगन्तर चला गया। शाहिभङ्गपथा सिन्धुं समुत्तीर्य बलान्वितः । प्राप सिन्धुपतेर्देशं कष्टक्लिष्टपरिच्छदः ।। ११४ || ११४ सेनानुगत एवं दुःखी सेवक सहित वह शाहिभंग' पथ से सिन्धु पार कर सिन्धुपति के देश पहुँचा । के साथ मिलकर एक दूसरे के साथ मुहम्बरा का इजहार किया (पीर हसन १८५ म्युनिस पाण्डु ७६ ९० तबकाते अकबरी ३४४४) । पाद-टिप्पणी : . बम्बई का ११२वा श्लोक तथा कलकत्ता की ३२५वीं पंक्ति है । [ १ : ३ : ११३ - ११४ ११३. ( १ ) जनक शब्द श्लिष्ट है । जनक शब्द राजा जनक तथा जन्मदाता अर्थात् पिता दोनों अर्थों को प्रकट करता है । (२) दिगन्तर : श्रीवर ने दिगन्तर शब्द का प्रयोग १ : १ : १३९; १ : ५ : ७६ तथा १ : ७ :७७-१७३ में किया है। दिगन्तर का अर्थ दो दिशाओं के मध्य होता है। यहाँ अर्थ निश्चित स्थान स्याग कर दिशा में लोप या आंखों से ओझल हो जाना है । किया गया है । श्रीकण्ठकील ने शाहिभंग को दत्त के समान स्थानवाचक शब्द माना है । शाहिभग किस मार्ग का नाम था अनुसन्धान का विषय है । श्रीवर ने फतह शाह के राज्यच्युति तथा महम्मद शाह सभी के राज्य प्राप्ति के प्रसंग में शाहिभंगीय शब्द का प्रयोग किया है । मोहिबुल हसन का मत है कि वह काश्मीर के उत्तर-पश्चिम कुछ मील पर पड़ने वाली संकीर्ण सिन्धु उपत्यका है ( पृष्ठ : ७७ ) । किन्तु यहाँ दिगन्तर शब्द का अर्थ सर्वत्र 'बाहर' किया गया है । सिन्धुपति शब्द से प्रकट होता है कि सिन्ध का शासक जैनुल आबदीन के आधीन नही था । वहाँ का शासक दूसरा था। श्रीनगर समीपस्य सिन्ध उपत्यका सुल्तान जैनुल आबदीन के राज्य मे थी। श्रीवर के वर्णन के अनुसार यह स्थान काश्मीर की सिन्ध उपत्यका नहीं हो सकती (इ०४ : ५५९, २११, २७०, २७२ ) । आदम खां ने बाप और भाइयों की लड़ाई से तंग आकर पंजाब की तरफ भाग खड़ा हुआ ( पीरहसन पृ० १८५ ) । पाद-टिप्पणी : तवकाते अकबरी में 'मुगं' पर लिखा है - आदम खाँ उस शाहिभंग के स्थान स्थान से भाग कर पाठ-बम्बई । बम्बई का ११३वाँ श्लोक तथा कलकत्ता की शाहबंग के मार्ग से नीलाव ( सिन्ध ) चला गया ३२६वीं पंक्ति है। (४४४)। १४. (१) शाहिभंग दत्त ने शाहिभंग को एक मर्ग माना है (दत्त १३१) शुक ने शाहिमंगीय शब्द का प्रयोग (११२९) किया है । वहाँ पर व्यक्ति के विशेषण रूप में प्रयोग फिरिश्ता शाहिभंग का नाम शाहाबाद देता है 'अब आदम खां अपनी सेना के साथ शाहाबाद के मार्ग से भाग गया और नीलाव सिन्ध के तट पर पहुँचा और सुलतान राजधानी लौट आया (३७३) ।'
SR No.010019
Book TitleJain Raj Tarangini Part 1
Original Sutra AuthorShreevar
AuthorRaghunathsinh
PublisherChaukhamba Amarbharti Prakashan
Publication Year1977
Total Pages418
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size35 MB
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