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________________ (६) खीणे केवलणाणावरणे, खीणे चक्खुदसणावरणे, खीणे अचक्खुदसणावरणे, क्षोणे ओहिदसणावरणे, खीणे केवलदसणावरणे, खीणे णिद्दा, खीणे निद्दानिद्दा, खीणे पयला, खीणे पयलापयला, खीणे थीणद्धी, खीण सायावेयणिज्जे, खीण असायावेयणिज्जे, खीण दसणमोहणिज्जे, खीण' चरित्तमोहणिज्जे, खीण नेरइआउए, खीण तिरिआउए, खीण मण साउए, खीण देवाउए, खीण उच्चागोए, खीण निच्चागोए, खीण सुभणामे, खीण असुभणामे, खीण दाण तराए, खीण लाभतराए, खीण भोगतराए, खीण उवभोगतराए, खीण वीरियतराए। -समवायाग सूत्र, सभवाय ३१ हिन्दी-भावार्थसिद्धों के ३१ गुण माने जाते है । जैसे कि१. आभिनिबोधिक ज्ञानावरण-मतिज्ञानावरण कर्म का क्षय । २. श्रुतज्ञानावरण कर्म का क्षय । ३ अवधि-ज्ञानावरण कर्म का क्षय । ४ मन पर्यव-ज्ञानावरण कर्म का क्षय । ५ कैवल-ज्ञानावरण कर्म का क्षय । ६. चक्षुर्दर्शनावरण कर्म का क्षय । ७. अचक्षुदर्शनावरण कर्म का क्षय । ८. अवधि-दर्शनावरण कर्म का क्षय । ९. केवल-दर्शनावरण कर्म का क्षय ।
SR No.010013
Book TitleJain Agamo me Parmatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year1960
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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