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________________ (८२) पुरुषः-प्रियवर ! भरतक्षेत्रमें पट् खंड हैं, आप कौनसे खंडमें निवास करते हैं ? व्यक्तिा-मैं मध्य खंडमें वसता हूं (यह विशुद्ध नैगम नय पुरुष-मध्य खंडमें अनेक देश हैं, आप कौनसे देश में उहरते हैं ? व्यक्तिः-मैं मागध देशमें वसता हूं (यह अतिविशुद्ध नैगम नय है)। पुरुषः-मागध देशमें अनेक ग्राम नगर हैं, आप कौनसे आम वा नगरमें वसते हैं ? व्यक्तिः-मैं पाटलिपुत्रमें वसता हूं ( यह अतिविशुद्धतर नैगम नय है)॥ पुरुषः-महाशयजी ! पाटलिपुत्रमें अनेक रथ्या हैं (मुहल्ले) तो आप कौनसी प्रतोलीम वसते हैं ? व्यक्ति-मैं अमुक प्रतोलीमें वसता हूं (यह बहुलतर विशुद्ध नैगम नय है)। पुरुषः-एक मतोलीमें अनेक घर होते हैं, तो आप कौनसे घरमें वसते हैं ( एक मुहल्लेमें ) ? व्यक्तिः-मैं मध्य घर (गर्भ घर) में वसता हूं ? ( यह
SR No.010010
Book TitleJain Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaram Upadhyaya
PublisherJain Sabha Lahor Punjab
Publication Year1915
Total Pages203
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Principle
File Size6 MB
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