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________________ -१०८] मस्की आदिकं लेस १२६ मस्की ( रायचूर, मैसूर ) शक ९५३ = सन् १०३२, कन्नड ७७ [ यह लेख चालुक्य मम्राट् जगदेकमल्लके राज्यकालमे फाल्गुन शु० ९, सोमवार, शक ९५३, प्रजापति मवत्मरके दिन लिखा गया था । इसमे देसिगणके जगदेकमल्लजिनालयके लिए राजा द्वारा कुछ भूमि आदिके दानका उल्लेख है । अष्टोपवासि कनकनन्दिभट्टारके निवेदनपर वह दान दिया गया था । स्थान राजवानि पिरियमोस गि यह था । ] [रि० इ० ए० १९५३-५४ क्र० २४७ पृ० ४२ ] १२७ कागिनेल्लि ( धारवाड, मैसूर ) ( शक ९ ) ५४ = सन् १०३२, कन्नड [ यह लेख चालुक्य राजा जगदेकमल्लके राज्यमे ५४ ( शक ९५४ ) वर्षमें लिखा गया था । इसमें जिनधर्मके भक्त कामदेवके एक पुत्र तथा आयतवर्माका उल्लेख है । इन्होने एक मन्दिरके लिए कुछ सुवर्ण आदि दान दिया था । ] [रि० स० ए० १९३३-३४ क्र० ई० २३ पृ० १२० ] १२८ रायवाग (मैसूर) शक ९६३ = सन् १०४३, कन्नद [ यह लेख आदिनाथमन्दिरके मण्डपमें लगा है । तिथि चैत्र व० १४, शक ९६३, शुक्रवार, विक्रम सवत्सर ऐसी दी है । अन्य विवरण प्राप्त नही है । ] [ रि० इ० ए० १९५५-५६ क्र० १५४ पृ० ३४ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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