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________________ कमलापुरम् आदिके लेख ११५ कमलापुरम् (बेल्लारी, मैसूर ) १०वीं सदी, कन्नड [ यह लेख १०वी सदीको लिपिमें है । इसमें गुणचन्द्रमुनि, इन्द्रनन्दिमुनि तथा एक महिलाका उल्लेख है । ] [रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० २२२ पृ० ४८ ] - ११७ ] ११६ काशिवल ( बिजनोर, उत्तरप्रदेश ) मवत् १०६ (१) = सन् १००५, संस्कृत - नागरी ७३ [ यह लेख एक जैन मूर्तिके पादपीठपर है । इसमे भरतका उल्लेख है तथा सवत् १०६ यह तिथि दी है । सम्भवत. सवत्का अन्तिम अंक लुप्त हुमा है । ] [रि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० ४३६ पृ० ७१] ११७ लक्कुण्डि (मैसूर) शक ९२९ = सन् १००७, कन्नड [ यह लेख चालुक्य सम्राट् आहवमल्ल ( जो यहाँ सत्याश्रयका उपनाम होना चाहिए ) के सामन्त वाजिकुलके नागदेवके समयका है । इसकी पत्नी अत्तियब्वेने लोक्किगुण्डिमें एक जिनालय बनवाकर उसे कुछ भूमि दान दी थी । यह दान उसके गुरु सूरस्थगण-कौरूरगच्छके अर्हह्णन्दि पण्डितको दिया गया था । दानकी तिथि फाल्गुन शु० ८, शक ९२९, प्लवग सवत्सर ऐसी दी है । उस समय मत्तियन्वेका पुत्र पडेवल तैल मामवाडि प्रदेशका प्रमुख था । ] [ मूल कन्नडमे मुद्रित ] [ सा० इ० इ० ११ पृ० ३९ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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