SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -६३] धर्मपुरी आदिके लेख धर्मपुरी ( सालेम, मद्रास) शक ८१८ = सन् ८९३, कन्नड मल्लिकार्जुन मन्दिरके आगे एक स्तम्भपर [राजा महेन्द्राषिराज नोलम्बके समय गक ८१५ मे यह लेख लिखा गया। इसमे निवियण्ण और चण्डियण्ण-द्वारा मूलसंघ, सेनान्वय, पोगरियगणके आचार्य विनयसेन सिद्धान्तभटारके शिष्य कनकसेन सिद्धान्तभटारको मूलपल्लि ग्राम दान देनेका उल्लेख है।] [इ० म० सालेम ७४ ] सित्तनवासल ( पुदुकोट्ट, मद्रास) ९वी सी, तमिल [ यह लेख पाण्ड्य राजा अवनिपोखर श्रीवल्लभके समयका है। इलंगौतमन् ( इसीका नाम मदिर आगिरियन् भी था ) द्वारा अन्तर्मण्डपका जीर्णोद्धार तथा बाह्य मण्डपका निर्माण किये जानेका इसमे उल्लेख है । इस मन्दिरको अरिवन् कोयिल् ( मर्हनमन्दिर ) कहा गया है । इस गुहामन्दिरके बाहरी भागपर कई यात्रियोके नाम खुदे हैं जिनकी लिपि ७वी सदीकी है।] [रि० आ० स० १९२९-३० पु. १६७-१६९ रि० सा० ए. १९४०-४१ ० २१५ पृ० ९९] हेन्बलगुप्पे (मैमूर) ९वीं सदी, कन्नड १ स्वस्तिश्रीनरसीगेरे अप्पोर् दुग्गमार २ कोयिल्वमटिगे मरगण्डगब्वेदे मण कोहर
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy