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________________ नलजनम्पादुका लेख नलजनम्पाड (आन्ध्र ) तेलुगु, ७वीं-८वीं सदी अगला भाग १ स्वस्ति म २ गवहित (प)३ ग्ममहारकस्य पा ४ दानुध्यात परममा५ हेश्वर पर(मे) श्वर प- ६ स्लवादित्य श्रीवादि७ राजुल अन्दु पल्ले- ८ यरि कोडुकु वादि (रा)९ जेन्वानरु राजमा (न)- १०७ मून्रु वुटु माल११ पट्ट क्षेत्रंत्रु प(रि)- १२ सि पल्लेयारि (डा)१३ यनंबुनाकुइच्चे १४ दीनि रक्षिचिनवानि (कि) पिछला भाग १५ अडुगडु १६ गश्वमेधंबुना १० पलंवगु १८ दीनि लच्चिन१९ वानिकि एकलु २० श्रीपर्वतत्रु २१ लच्चिन पाप २२ वगु वाच्चो२३ लाल कोडुकु २४ पल्लवाचा२५ ज्य॑स्य लिकि २६ तम् (1) [ इस लेखमें परमेश्वर पल्लबादित्य वादिराजुल नामक शासक द्वारा ३ पुट्टि जमीन किसी ग्राममुख्यको दिये जानेका उल्लेख है। वादिराजुलको अर्हतभट्टारक तथा महेश्वर दोनोका भक्त कहा गया है। लेखको लिग ७वी-८वी सदीकी है। [ए० ई० २७ पृ० २०३,
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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