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________________ -६३३] तम्मदहल्लि आदिके लेख ३० तम्मदहल्लि (अनन्तपुर, आन्ध्र) कन्नड [ इस लेखमें मूलसप-देसियगणके चारुकीति भट्टारकके शिष्य चन्द्राक भट्टारकके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९१६-१७ क्र० ४८ पृ० ७४ ] ६३१ रामपुरम् ( अनन्तपुर, आन्ध्र) [ इस लेखमें मूलसघ-देसियगणके देवचन्द्रदेवके शिष्य बेट्टिसेट्टिके पुत्र कृष्णसेट्टिके समाधिमरणका उल्लेख है। ] [रि० सा० ए० १९१७-१८ क्र० ७१४ पृ०७४ ] ६३२ रामतीर्थम् (विजगापटम आन्ध्र) तेलुगु [ यह लेख एक भग्नजिनमूतिके पादपीठपर है। ओगेरुमार्गस्थित चनुद (बो) लु निवासी प्र (मि) सेट्टि-द्वारा इस मूर्तिकी स्थापना हुई थी।] [रि० सा० ए० १९१७-१८ क्र० ८३२ पृ० ८५] घेलर (द० अर्काट, मद्रास) तमिल [इस लेखमें जयसेन-द्वारा इस जिनमन्दिरके जीर्णोद्धारका उल्लेख है। लिपि उत्तरकालीन है। [रि० सा० ए० १९१८-१९ क्र० १२४ पृ०५९]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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