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________________ -५८०] वललरका लेस तललर ( मैमूर) कन्नड १ मावसंवत्सरट भाव- २ ण शुद्ध त्रयोदसि - ३ दिवारदंदु स्वस्ति ४ श्रीमद् भजितेश्ध५ रदेवर महाजनं .. ६ . 'वागि " ७ " केशवढेवर बम्म- ८ ब्चे तोटडिं ९ ""वागि कमर.. १. कोण्ड " . येनुल्क [यह लेख काफी अस्पष्ट हुआ है । श्रावण शु० १३, रविवार, भावमवत्सरके दिन किसी ग्रामके महाजनी द्वारा अजितेश्वर देवके मन्दिरके लिए कुछ भूमि दान दी गयी ऐसा इसमें उल्लेख है । केशवदेवकी कन्या वम्मके उद्यानके समीपकी २ कम्म जमीन भी इस दानमें सम्मिलित थी। [ए. रि० में० १९३० पृ० ११३ ] ५८० अंवले (मैसूर) कन्नड १ जिनचंटेव० २ . मुडि(पि) " [ इस छोटे-से लेखम जिनचन्द्रदेवके समगधिमरणका उल्लेख है।] [एरि० मै० १९३० पृ० १३३ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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