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________________ -५२७] मैसूरके लेख ३५६ ५२४ मैसूर कन्नड शान्तीश्वर बसतिमें दीपस्तम्भोंपर [ इस लेखमे चामराजको रानी देवीरम्मण्णि-द्वारा उक्त दीपस्तम्भ शान्तीश्वर वसतिको अर्पित किये जानेका उल्लेख है । ये चामराज मैसूरके राजा चामराज वोडेयर (नवम ) ( सन् १७७६-९६ ) होगे। ] [ मूल लेख कन्नड लिपिमें मुद्रित ] [ए० रि० मै० १९३६ पृ० १०२ ] ५२५ मैसूर उपर्युक्त बसतिमे चार कलशोंपर [ इस लेखमें उपर्युक्त रानी देवीरम्मण्णि-द्वारा शान्तिनाथके अभिषेकके लिए इन चार कलशोके दानका निर्देश है।] [ मूल लेख कन्नड लिपिमे मुद्रित ] [ए. रि० मै० १९३६ पृ० १०२] ५२६-५२७ नरसिंहराजपुर (मैसूर) सन् १७७८-७६, कन्नड [यहाँके दो लेख सन् १७७८ तथा १७७६ के है। पहलेमे वियग वरमैयके पुत्र नागप्प-जो काम्बोदि वैश्य था तथा निर्घडेवृक्षसघका था
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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