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________________ -४५९] हुम्चका लेरा ४४६ हुमच (मैमूर) १५वी मढी, कन्नड १ श्रीमत्परमगंमीस्या- २ बाटामोघलांछनं . जीयात् त्रैलोक्यनायस्य शा- ४ मनं जिनशामन ५ विरोधिकृत मवमरद आधी. ६ ज बहुल ढममि सोमवा० स्टलु । श्री मदायराज- गुरु मंढलाचार्यर है महावाढवाढीवर रा- १० यवाणिपितामह मकल" विद्वजनचत्रवर्तिगल श्रीम- १२ द्वाहीद्रविशारीनिम१३ -स्वरकुळकमलमातंढरं १५ श्रीमहमरकातियनीश्वरप्रि१५ याप्रशिष्यरं मूलमंघ च- १६ लाकारगणाग्रगण्यल्मप्प १७ श्रीधर्मभूषणमट्टारकडे- १८ वर प्रियगुट्ट श्रीमदम१९ रेबंदितजिनहपाठार- .. विढमधुकरखें चतुर्विधढा२१ नचिंतामणियु सढस्फुटि- २२ वजीर्णजिनालयोदारकनुम २३ पविटिमटिय मग चौकिमेटि-४ य निमिधि ॥ [इम लेखम विटिसेट्टिके पुत्र चोकिमट्टिके नमाविमरणका उल्लेख है जो आदिवन ब० १० मोमवार, विरोधकृत मवत्मरके दिन हुवा था। चौकिमेट्रिके गुर धर्मभूपण भट्टारक थे जो मूलसघ-बलात्कारगणक अमरकौति यतीम्बरके गिष्य थे । लिपि १५वीं सदीकी है। ] [ए. रि० मैं० १९:४ पृ० १७५ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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