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________________ ३०० जैन शिलालेख संग्रह ४२३-४२४ भटकल (उत्तर कनडा, मैसूर ) दशक १३३२ सन् १९९० कक्ष [ ४२३ [ ये दो लेख है । कार्तिक शु० १०, सोमवार, शक १३३२ मर्वधारी सवत्सर, यह इनकी तिथि है । एकमें मगिराव मोठेय द्वारा उनके किसी सम्बन्धित मल्लिराय नामक व्यक्तिके ममाधिमरणपर निमिधिकी स्थापनाका उल्लेख है । दूसरेमें किमी राजकन्याके ममाधिमरणपर निसिधिस्थापनाका उल्लेस है। इसमें हैवभूप, भंगदेवी तथा मगिरायका भी नामोल्लेख है ।] [ रि० ३० ए० १९४५-४६ क्र० ३३९-४० ] ४२५ लक्ष्मेश्वर (मैसूर) शक १३३४ सन् १४१२, कन्नड [ यह लेख विजयनगरक देवराय महारायके समय मार्गशिर शु० २, रविवार, नन्दन सवत्सर, क १३३४ को लिया गया था । गलबसतिके आचार्य हेमदेव तथा मौम्यदेव ( शिवमन्दिर ) के शिवरामय्य-द्वारा दोनो मन्दिरोकी भूमिकी सीमा वारेमें कुछ विवादका ममझौता किये जानेका इसमें उल्लेख है । यह कार्य नागण्ण दण्डनायक द्वारा सम्पन्न हुआ था । ] [ रि० स० ए० १९३५-३० क्र० ई० ३३ पृ० १६३ ] ४२६-४३० टॉक ( राजस्थान ) संवत् १४७० = सन् १४१३, संस्कृत - नागरी [ ये ५ मूर्तिलेस है । मूलमघके आचार्य प्रभाचन्द्रके शिष्य पद्मनन्दिके उपदेणसे खण्डिलबाल कुलके कुछ व्यक्तियो द्वारा ज्येष्ठ शु० ११, गुरुवार, सवत् १४७० को ये मूर्तियां स्थापित की गयी थी । ] [रि० ६० ए० १९५४-५५ क्र० ४६६-७० पृ० ६९ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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