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________________ २७५ -३८७] हुकेरी आदिके लेख ३८४ हुकेरी (जि० वेलगांव, मैसूर) १३वीं मढी, कन्नड [ यह लेग्ब टूटा है । यापनीय मघके किसी गणके कीर्ति आचार्यका इसमें उल्लेख है । लिपि १३वी सदीकी है। ] [रि० सा० ए० १९४२-४३ ई ६ पृ० २६१] ३८५-३८६ हले हुबलि (जि० घारवाड, मैसूर) १२वीं-१३वीं सदी, काड । [यहाँके अनन्तनाथ बसदिमें दो लेख है । एक ब्रह्मदेवको मूर्तिपर है। इसकी लिपि १२वीं सदीकी है। सेटि महादेवी-द्वारा इस मूर्तिकी स्थापनाका इममें निर्देश है। दूसरा एक जिनमूर्तिपर है। इसकी लिपि १३वी भदौको है। इसमें यापनीय सघके (क)डूर गणका उल्लेख है। [रि० सा० ए० १९४१-४२ ई० 33-३४ ] ३८७ मोटे वेचूर (घारवाड, मैसूर) १३वीं सदी, कन्नड [ यह लेख १३वीं सदीको लिपिम है । तिथि चैत्र शु० १०, गुरुवार, सौम्य सवत्सर ऐसी दी है। इसमें जिनचन्द्रदेवके शिष्य बोम्मिसेट्टिके पुत्र वाचिसेट्टिके समाधिमरणका उल्लेख है ।] [रि० स० ए० १९३३-३४ क्र० ई १०८ पृ० १२९]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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