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________________ २६८ जैनशिलालेख-सग्रह [३७२ ३७२ विदिर (शिमोगा, मैमूर) १३वीं सदी, कन्नड १ श्री मैणदान्वयद देसियगण नागर एक्कगूडिय सु२ भचन्द्र देवरु माडिसिद बसदिगे ॥ श्रीजिनपद३ पकजविराजितमधुकरन् एनिप्प मल्लि कोह ४ पूजिववेने तीर्थकरवाजित प्रतिकृतिय५ नुचित कडितले गोत्र । [इस लेखमें बिदिरूर ग्रामके बसदिमे मल्लि नामक व्यक्ति-द्वारा इस चौबीसी मूर्तिके अर्पण किये जानेका वर्णन है। यह बसदि देसियगण-मैणदान्वय-कडितले गोत्रके सुभचन्द्रदेव-द्रारा बनवायी गयी थी। लेखकी लिपि १३वी सदीकी है।] [ए. रि० मै० १९४३ पृ० ११४ ] ३७३ होगनूर ( मैसूर) १३वीं सदी, काड १ स्वस्ति श्रीमूलसंध श्रीकाण्वद श्रीसकलचंद्रमहा२ रकदेव सिष्यरु माधवचद्रदेवर गुड्डुगलु ३ उमयनानादेसिगल मादिलिद होंगनूर शा४ तिनाथदेवर जोगवडिगेय बसदि मगल महा [यह लेख एक शान्तिनाथ मूतिके पादपीठपर है जो वर्तमानमें लक्ष्मीदेवी मन्दिरके एक चबूतरेमें लगी है। इसमें होगनूरकी बसदिका निर्माण सकलचन्द्रके शिष्य माधवचन्द्रके शिष्यो-द्वारा किये जानेका उल्लेख है । ये मूलसष-काण्व (क्राणूर गण) के अन्तर्गत थे। लिपि १३वी सदी-की है।] [ए. रि० ० १९४२ पृ० १२६ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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