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________________ -३४५] भपिगगेरि वाटिके लेख २५९ ग्रन्योका उल्लेख किया है- मिद्धान्तमार, थावकाचारसार, पदार्थसार तथा गावसार ममुच्चय । इनके शिष्य कुमुदचन्द्र पण्डित थे । यन्तमें इस दानके सहायकके कनमें महाप्रवान सोमेय दण्डनायकका उल्लेख किया है।] [ए० रि० म० १९११ पृ० ४८] ३४३ अण्णिगेरि (पाखाड, मैसूर) राक ११८९% मन् १२६७, वह [इम लेखमें चैत्र २०४, मगलवार, शक ११८९, प्रभव संवत्सरके दिन मूलमव-कोण्डकुन्दान्वयके सोमदेवाचार्यकी शिष्या आकलपे अम्बेके समाधिमरणका उल्लेख है।] [रि० सा० ए० १९२८-२९ ३० ई २०४ पृ० ५३] ३४४ संगूर (धारवाड, मैसूर) राज्यवर्ष : सन् १२६९, कन्नड [इम लेख में यादव राजा महादेवके राज्यवर्ष ९, विभव संवत्सरमें नन्दिभट्टारक्के गिष्य नयकौति भट्टारकके शिष्य नालामु गगर सावन्त मोवके समाविमरणका उल्लेख है।] [रि० मा० ए० १९३२-३३ ३० ई १६८ पृ० १०७] हुलिकेरे (मैसूर) सन् १७१, कबड १ स्वस्ति प्रजोत्पतिसंवत्सरद चैत्र सु १ वि इंदु श्रीमत् प्रतापवीर होयसल श्रीवीरनारसिं... -
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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