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________________ जैनशिलालेख-संग्रह [११ ३४०-३४१ हचिमत्तूर ( धारवाड, मैसूर) राज्यवर्ष ५ क्या ९= सन् १२६५ तथा १२६९, काड [ये दो लेख है । पहला लेख यादव राजा महादेवके राज्यवर्ष ५ में कार्तिक २० १३, बुधवार, क्रोधन सवत्सरके दिन सेवयर जक्कयकी पल्ली भाववेके समाधिमरणका स्मारक है। दूसरेमे महादेवके राज्यवर्ष ९ में हत्तियमतूरकी बसदिके आचार्यके समाधिमरणका उल्लेख है। (न) न्दिभद्वारकदेवका भी उल्लेख है।1 [रि० सा० ए० १९३२-३३ क्र० ई० ६८-६९ पृ० ९८] ३४२ हलेवीड ( मैसूर) सन् १९६५, कबड [यह लेख होयसल राजा नरसिंह ३ के समय सन् १२६५ का है। इस वर्षमे राजा-द्वारा त्रिकूट रलत्रय शान्तिनाथ ग्निालयके लिए माघनन्दि सैद्धान्तिको कल्लनगेरे माम दान दिया गया था। माघनन्दिकी गुरुपरम्पग इस प्रकार है- मूलसघ - नन्दिसध-बलात्कारगणक वर्षमानमुनिकोहोयसलराजाओके गुरु थे, श्रीधर विद्य-पद्मनन्दि विध-वासुपूज्य सैद्धान्तिशुभचन्द्र-भट्टारक-अभयनन्दिभट्टारक - वाहणदि सिद्धान्ति, देवचन्द्र, अष्टोपवासि कनकचन्द्र, नयकीति, मासोपवासि रविचन्द्र, हरियनन्दि, श्रुतकीति विध, वीरनन्दिसिद्धान्ति, गण्डविमुक्त,नेमिचन्द्रभट्टारक, गुणचन्द्र,जिनचन्द्र, वर्धमान, श्रीधर, वासुपूज्य, विद्यानन्द स्वामि, कटकोपाध्याय श्रुतकीति, वादिविश्वासघातक मलेयालपाण्डपदेव, नेमिचन्द्र, मध्याहकल्पवृक्ष वासुपूज्य। श्रीधरदेव-धासुपूज्य ~ उदयेन्दु - कुमुदेन्दु-भाषनन्दि । माघनन्दिके चार
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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