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________________ २१९ -२०१] कान्तराजपुरका लेख १६ यक काचिनायक पम्मणनायक मावियनाय (क) २० मावुकनायक चिकयनायक मादियनायक बउचर विज२१ पनायक वढुगेयनायक मनियमनायक है२२ माटिनायक हरियणनायक पूमयनाय ३ क नवनयनायक मलयनायक बैंजयणनायक मा०४ क्यनाय (क) बमय नायवेयनायक गुडंयनायक २५ मारनमनायक मल्लेयनायक हरियड्र माचाड मि• गाँड मोमगाड बढियगाडन मादिगोड उत्तगोड वयचिगाट -७ मारगोट मादिगाट अविगोड हलुवाडिगट्टन कुढग्य के२८ चगांड मारनायकर नायक मल्लिगोह केसिय-हलिय वा• हुबलिमष्टि पारिमसहि विजमष्टि अवर पुत्रक यलगोड ब३० सवाँड माय मरतय माढय आलय माचयटक्ष३१ गौडन मारय पापय चिक्करम विरिष्टिय मग आलगा३२ ढ चिकगौढ मामगाढ चिण्णयगाढ मारगोड कसवगौट श्रीमन्महा(म)३३ दळाचार्यरु राजगुल्गलु नयकीर्तिसिन्हातवर गियर नेमि३४ चट्टपडितवर बालचढ़दंवरु नयीतिवरणुङ३. गलु बाहुबलिसष्टि पारिससहि माडिसिन एक्कोटिजिनालय३६ ट पद्मप्रमहेंबर अष्टविधार्चनग वूर मुन्टे आरिय मार३७ यनायक कष्टिमिट कर मा कोलरिय गहे भा मूडलु सुत्तल नह ३. बहलेय हिरियकरेय मोठरि३९ गदय श्रीमुससवल्पग्द वयि
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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