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________________ -२८५] १७ इगलेश्वर आदिक लेस २८३ इंगलेश्वर ( विजापूर, मैमूर ) शक १११७ = मन् ११६-, क्वड [इस लेखमे तोयं चन्द्रप्रभदेवकी गिण्या पेण्डर वाचि मुत्तब्वेके ममाविमरणका उल्लेख है । शक १११७ का उल्लेख है। ] [रि० सा ए० १९३०-३१ क्र० ई १४ पृ० ८५ ] २८४ ताडपत्री (जि० अनतपुर, आन्त्र ) शक ११२० = मन् १९९८, कन्नड रामेश्वर मन्दिरके प्राकारके उत्तर पश्चिम कोनेपर [इम लेखमें नोमिदेव तथा काचेलादेवीके पुत्र उदगदित्यका उल्लेख है जो जैन था और ताटिपर ताडपत्री रहता था।] [इ० म० अनन्तपुर २०३ ] २८५ वेलगामि ( मैमूर) सन् १९६९, कन्नड [इस लेखमें होयमल राजा वीरवल्लालके समा सन् ११९९ में महाप्रवान मल्लिपण दण्डनायकके अवोन हेग्गडे मिरिवण्ण-द्वारा मल्लिकामोदशान्तिनाजिनालयके लिए आचार्ग पद्मनन्दिको कुछ करोका उत्पन्न दान दिये जानेका उल्लेख है।] [ए. रि० म० १९११ पृ० ४६ ]
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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