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________________ मोमपुरका लेख २१३ २४ ल बीरबल्लालनि (हिं) दुरिटतुच्छगियोडे रिपुनृपति पेल लुण्टे ॥ (१६ रणरंगागणशूद्रक नइंदोडिन्तुच्छंगि नुर्चलित २५ नन्क्षणदि नोडे बिराटराजपुर चोनुत्तायनु मुन्नान्न सेवुणरापोश नमात्रक नेरेरिल्लेन्दन्दु बल्लालदोर्गुणव बाणिसलण्ण ०६ बल्लबरदारी भूरिभूचादाल ।। (१७ ) बिलयाहि येनिप मेवुण बलन निचयाबिल मकराकुलवी यदुकुलपरितरग. २७ तवायतु बन्दुः .. ॥ (१८) क्न्तनहप्तारिरक्त कूडे हरखुर हिन्द्रा · गेलिगेत्तग्गट या टोल मुम्पेण पेणन वेत्ति२८ 'भूनालि पुण्यराशीकृतविपुलतल बीरबल्लालदेवं ॥ (१६) २६ स्वस्ति ममम्तभुवनाश्रय श्रीपृथ्वीवल्लम राजाधिराजपरमेश्वर परममारक द्वारग्वतीपुरषराधीश्वर वामन्तिकादेवीलब्ध३० वरप्रसाट रिपुलम्मडनविनोद यादवकुलाम्बरधुमणि सम्यक्त्व चूडामणि शक्षत्रिय३१ मानमर्दन वीररिपुडपंशर्पअझानिल श्रीमदृवीय पराक्रमक प्रमाव । निरुयमात३२ क्यप्रताप नयविनयस्वभाव । मकलजनमत्याशीर्वाद । मुद्गर समरकेलिमम३३ क्त रिपुचिजितादित्यप्रताप। मप्तांग विलास सरम्बती • स्तम्बरम राज३४ कण्ठीरव । पाण्डयकुल • दण्ड । पल्लवकुलयशोविपिनदावानल। "मिहलसपालकुरगकुलपलायनकार३५ ण कठोरनिजविजयढोर्टण्ड । सकल रिपुनृपकुल इत्यादि नामादि३६ ममस्तप्रशस्तिसहितं श्रीमत्मामीम सग्रामराम मिल्लमदिशा पट्ट • धरित्रोपट्ट मलेराजराज मलेपरोलगण्ड
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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