SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१२ जैनशिलालेख-सग्रह [२८२१३ सिंह । (8) पडेमानेम्वन्दु कण्डंगमृतजलधि तां गदि गण्ट वातं जुढिवातंगेननेम्बै प्रलयसमयटोल मेरेय मोरि वर्षा कहलन्१४ न कालन्न्न मुलिद कुलिकनन्न युगान्ताग्नियन्नं मिडिलनं सिगदन्नं पुरहरनुरिगण्णनानी नारसिंह । (१०) रिपुसपंढप दावानलबहलशि१५ खानालकालाम्वुवाहं रिषभूपालप्रदीपप्रकरपटुवरस्फारशंसासमोर रिपुनागानीकताध्य रिपुनृपलिनी१६ पण्डवेतण्डरूम रिपुभूभृद्भरिखन रिपुनुपमहमातगसिंह नृसिंह ॥ (११)"पागल्द तीवप्रताप' गिदु पोगलदुद मा१७ ण्डोड शत्रुगानप्रगलदक्तप्रवाहप्रवलगुरुध्यानमुं शत्रुभूरि___ सन्दोहदाहप्रचुरचिटिचिटिध्यानमु निविक१८ पं पोगलुन्तिई नृसिंहप्रबल भुजबळाटोपम धानिगेलं ॥ (१२) आ विभुबिन पट्टमहादेविगे सद्गुणचरित्रदिन्दं सीतादविगे मि१६ गिलादेचलदेविगे बल्लालदेवनुदयगेस्ट । (१३) कलिकाल क्षत्रपुत्रप्रबलतरदुराचारसन्दोहदिन्द-पोले पोर्न पेसि सत्तलव२० सिट महाकान्तय रक्षिसलका जलजाक्षं साने बन्दिन्तवतरिसि टवोल धारवल्लालदेवं कुलजात्याचारसार नृपवरनुढयगेय्द२. नाश्चर्यशौर्य ॥ (१४) विनयश्रीनिधिय विवेकनिधियं ब्रह्मण्यन पूर्णपुण्यननुहामयशोथिय जितजगदप्रत्यार्थिय सर्वसज्ज२२ नसस्तुल्यननुद्भवद्विवरणश्रीविक्रमादित्यन मनुजेशर् मलराज राजनन बदलालन पाल्वरं । (१५) उरिंगणनि वेन्द चण्डा विपुर२३ मुरिटवोल चुचुरिलदारगार्ग र दन्दर धगिक धन्धग भग चेटे चेल्चेचिटिलगटुपोटेंम्बरव कैगणमे दिक्पालकर अललिय.
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy