SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८४ जैनशिलालेस-संग्रह [१३४-- २ रमभट्टारक सत्याश्रयकुलतिलक चालुक्यामरण श्रीमत्रलोक्यम३ लदेवर विजयराज्यमुत्तरोत्तरामिद्धिप्रवर्धमानमाचदावा४ रपर सलुत्तमिरे । अस्ति अस्नुिपमकृटपटिसचरणारवियर् गंगास्नान५ पवित्रेयर टीनानाचिन्तामणिगलेकराक्यर् गुणद पेटंगियरप्प श्रीमद६ कादवि (1) र गोकागेय कोटय मुत्तिदं योदिनलु विक्रमपुरद गोणढयेदंगिय ७ जिनालयक्के सण्डस्फुटितसुधाकर्मक गन्धधूपढीपक्क मरुगिग मूलसंघ. ८ व (२) सेनगणड होगरिय गच्छद नागसेनपपिदतर्ग भल्लिप ऋपियर्ग अजिय९र्ग आहारदानक्क अजियर कप्पलक्क कडव भूमि सकवर्ष ९६९ नेय १० सर्वजित् सवत्सरट चैत्रमास्य भादित्यवारददिन सूर्यप्र ॥ इनिमित्त धारापूर्वक मादि नगरदनुभवने मुख्यमागि किसु१२ काडेप्पचर बलिय सर्वनमस्यमागि विट याट गाणद हालाद १३ निक्रमपुरद यीशान्यद टेसेपि वॉट मचरोदु ऊरि तक मुदिन पा१४ ल नरिव्यद टेसयि पण्डिवनागदेवगे सर्वनमस्य मत्तर पनेरछ अल्लि तक १५ परकार कतार्जग सर्यनमस्य मचरिबारकु ऊरि बढग रायगष्ट्रेयिं १६ मृढ़ परकार कंतोजग तोट मसरोदु भल्लि पटुव कल्कुटिग सूरोजगे स१७ धनमस्य मत्ता पनेरद वोट मत्सरोंदु दृढिगरसन करयल मारुगोण्डु देवगे कोह
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy