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________________ हूनशीकट्टिका लेख २१२ हूनशी कट्टि (जिला बेलगाँव ) - कन्नड़ [ शक १०५२=११३० ई० (प्लीट ) ] [१] खस्ति श्रीमद्-भूलोकमल्लदेवर वर्ष ६ नेय सावा (धा) रण संव - [ २ ] सरद फाल्गुन शु ५ आदिवारढन्दु श्रीमन्महामं[ ३ ] डलेश्वरं मारसिंहदेवरसरु अग्रहारं कोडन-पूर्व्व[ ४ ] दवयि माणिक्यदेवर वसदिय सम्बन्धियेकसा[५] लेय- पार्श्वनाथदेवर विविधपूजाविधान के बिट्ट [ ६ ] गय सीमेय गुड्डे [ ॥ ] मङ्गलश्री [ ॥ ] શ [ मंगल हो । रविवार, साधारण 'संवत्सर' जो कि श्रीमान् भूलोकमलदेवका छठा साल था, फाल्गुन शुक्ला पञ्चमीको, – महामण्डलेश्वर मॉरसिंहदेव रसने कोडन पूर्वदवलि (गाँव) के माणिक्यदेव (देवता) की बसदि (मन्दिर) के एकसालेय-पार्श्वनाथदेव ( भगवन्त) की अनेकविध रीतियोंकी पूर्ति के लिये धान्य ( चावल ) के बहुतसे क्षेत्र दिये । ] [ इ० ए०, १०, पृ० १३१ - १३२, न० ९८ ] २९३ हन्तूरु — संस्कृत तथा कन्नड़ [ शक १०५२ = ११३० ई० ] [ हन्तूरु ( गोणी वीड परगना ) में, ध्वस्त जैन-वस्तिके पाषाणपर -] श्रीमत्परमगभीरस्याद्वादामोघलाञ्चनम् । जीयात् त्रैलोक्यनाथस्य शासन जिनशासनम् ॥ १ भूलोकमलका दूसरा नाम सोमेश्वर तृतीय भी है । यह राजा पश्चिमी चालुक्य वशका है ।
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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