SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 388
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रभुः शौचाचार - सार ..... सावनूरका लेख -- Gad -------.-.......... ******* ....अनवरत - विनुत- सुर-नर घटित-पद-कमल-युगल श्रीमदीश्वर.... पादाराधकं विरोधि-निकुरुम्गण्ड पाण्ड्य-मण्डलिकसभामण्डन प्रचण्ड- दण्डनाथ' • विराजमान सतत - स... नाभिमान" ..... मंत्रोत्साह-शक्ति-त्रय-गुण-गणं....त नियोगयोगन्धर निखिल-धर्मधारण' 'पाळ-मस्तक- खण्डन-प्रचण्ड-दोर- दण्ड पाण्ड्य - मण्डळिकदक्षिण ....... पर्व्वतारूढ नि • . 'वळ-विळ सत्-पाण्ड्य 'सूर्य- दण्डाधिनाथम् ॥ ... वृ ॥ दोरे मरु देवी" ऊढ़-प्रौढ़-नितम्बिनी-निकुरुम्बदिव्य.... श्रीमत् - त्रिभुवनमल्ल परिच्छेदि-गण्ड पाण्ड्य-मण्डलिक ........ शरणागतवज्र-पञ्जर । मृदु-मधुरदार- हित सतत दण्डनाथ कुळ-कमलिनी-विकासन सहस्रकिरण । वन्दि - जन-भरण.... ....त्रि सूर्य- दण्डाधिनाथम् ॥ • ***** कं ॥ आळापदिन्दे पाड्य-नृ- । पाळरगद विरोधि नृप .....सि पद - नतरं प्रति । पाळिसिद सु-भट...... दण्डाधीशम् ॥ ............ जिन-स्तवन'''सम्पू पवित्रोत्तमाङ्गदरदिं मुक्त ''चिनुरुतर-वज्र''''करतळ-रुचियिन्दोप्पुत· · · नत्र्थदिं भाखर-कान्ता - रत्नमे 11 कं ॥ मण्डळिय ....दडे ......केषेयेलु.......डगलेनरे ******* ... ४३९ ............ताम् । सरि नुत- लक्ष्मि तत् - सदृशमा- प्रियकारिणि देवियेन्दोडी - ** 1000 ******* 11
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy