SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मथुराके लेख अनुवाद-सफलता हो । महाराज, राजाधिराज, देवपुत्र, शाहि कनिकके ७ वें वर्षसे, हेमन्तऋतुके पहले महीनेके १५ वें दिन (अमावस्या) (Lunar day) भय्यौदेहिकीय (आर्य उद्देहिकीय) गण और अर्यनागभुतिकिय (आर्य नागभूतिकीय) कुलके गणी अयं बुद्धिशिरि (मार्य बुद्धनी)के शिष्य वाचक अयं (सन्धि) ककी भगिनी अर्य जया (आर्य जया) भर्य गोष्ठ...... [EI, I, XLIII, n° 19] २५ मथुरा-प्राकृत। [कनिष्क वर्ष ९...] १. सिद्ध महाराजस्य कनिष्कस्य संवत्सरे नवमे मासे प्रथ १ दिवसे ५ अस्य पूर्वाय कोट्टियातो गणातो २. · धव... दिस · न बुद · भ जिमित विकट [यह महत्त्वपूर्ण लेख नव संवत् , पहले महीने (ऋतुका नाम लुप्त है) पाँचवें दिनका है। यह महाराज कनिष्कके राज्यकाल (ईस्वी पूर्व ४८) का है।] [A Cunningham, Reports, III, p 31, n°/4 ] · मथुरा-प्राकृत। [कनिष्कका १५ वाँ वर्ष ] अ. १.... ... स १० ५ गृ३ दि १ अस्या पूर्व [1] य ब. १.... हिकातो कुलातो अर्यजयभूति स. १. स्य शिशीनिनं अर्यसङ्गमिकये शिशीनि ३ द. १. अर्य्यवसुलये [निर्वर्त] न १ सिद्धं' की पूर्ति करो। २ 'मेहिकातो पढ़ो। ३ 'शिशीनिन' पढ़ो।
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy