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________________ अडका लेख २४५ वीर-शान्तरकी पत्नी चागल- देवी थी । उसकी प्रशसामें बहुत से लोक दिये हैं । अपने पति वीर-शान्तरके कुल देवतारूप नोकियव्येकी बसदिके सामने उसने 'मकर-तोरण' बनवाया था और बल्लिगावेमे चागेश्वर नामका मन्दिर बनवाया था और बहुत-से ब्राह्मणोको कुमारिकायें भेटकर उसने 'महादान' पूर्ण किया था, तथा प्रशंसको और आश्रितोंकी भीडको यथेच्छक दान देकर अपनेको दानी प्रसिद्ध किया था । ( तथा ) चागल- देवी की माँ अरसिकी भी बहुत प्रसिद्धि हुई । ( और ) शान्तरके घरका 'सर्व-प्रधानं' ब्रह्माधिराज कालिदास विख्यात हुआ था । लोक्किय बसदिके लिये, देकररसने जम्बहळ्ळि प्रदान की, इसका दान माधवसेन -देवको किया था । ] [ EC, VIII, Nagar, tl, n° 47 ] १९९ श्रवणबेलगोला, संस्कृत - भग्न [सं० १११९=१०६२ ई० ] ... ( जैन शि० ले० सं०, भा० १ ) २०० अगडि - कन्नड - भग्न [ शक ९८४ = १०६२ ई० ] [ अगाडि ( गोणीवीड परगना ) मे, ७ वें पापाणपर ] 'विनयादित्य. • • पोयसळ... गुरुगळ सक-कालं गति-नाग- रन्ध्र-शुभकृत् संवत्सरापाढदोळ् । सुकर पौर्णमि-भौमवार मोसेदिकदा श्रावण " कन्दि बरे शान्तिदेवरम सन्यासन गेय्दु भक्- । ति करं कैवशमागे गेय्दु पडेदर निर्वाण साम्राज्यमम् ॥ भट्टार
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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