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________________ २१८ जैन शिलालेख-संग्रह चिक-हनसोगे-संस्कृत [विना काल-निर्देशका, पर सम्भवत: लगभग १०२५ ई० का] [चिक्क हनसोगे (हनसोगे परगना )में, जिन-वस्तिके दरवाजेके ऊपर] (ग्रन्थ और तामिल अक्षर) श्री राजेन्द्र-चोळन जिनालय देशिग्गण वसदि पुस्तक-गच्छम् [राजेन्द्र चोळ जैनमन्दिर, देशि-गण और पुस्तक-गच्छकी वसदि] [EC, IV, Yedatore t1, no 21] खजुराहो-संस्कृत (सं० १०८५१०२८ ई.) संवत् १०८५ । श्रीमत् आचार्य पुत्र श्री ठाकुर श्री देवधर सुत । श्री सिवि श्री चन्द्रयदेव. श्री शान्तिनाथस्य प्रतिमा कारी । [इस लेखमें स्थापित प्रतिमाका नाम शान्तिनाथ है, सेतनाथ नहीं, जैसा कि लोगोंसें प्रसिद्ध है । सम्वत् (विक्रम ) भी साफ १०८५ दिया हुआ है। [A. Cunningham, Reports, xx I p, 61.] १७७ मुल्लूर-संस्कृत [विना काल निर्देशका । लगभग १०३० ई० (० राइस)।] [मुल्लूर में, वस्ति मन्दिरमें शान्तीश्वर वस्तिके सामने पादद कल्लू पर] गुणसेन-पण्डितस्य गुरोः पुष्पसेन-सिद्धान्त-देवस्य श्री-पादम् । [गुणसेन-पण्डितके गुरु पुष्पसेन-सिद्धान्त-देवके पवित्र पदचिह्न या पादुकाएं। [EC, IX, Coorge t1, no 41]
SR No.010007
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaymurti M A Shastracharya
PublisherManikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
Publication Year1953
Total Pages455
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size12 MB
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