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________________ सजीव पदार्थ (प्राणी) वायु से जीवन प्राप्त करते हैं, जिससे पौरुषत्व एवं प्राण शक्ति (चेतनता) जागृत होती है। पृथ्वी पर एक वायु मंडल है, इसी लिए इससे निसृग सृष्टि की उत्पत्ति हुई। पृथ्वी के वातावरण में सर्वाधिक अंश नाइट्रोजन वायु का (78 प्रतिशत) है। नाइट्रोजन वायु सभी वनस्पतियों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। वनस्पतियां नाइट्रोजन को प्रत्यक्ष रूप में ग्रहण नहीं करती। उनकी जड़ों पर पाये जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु के माध्यम से ये वनस्पतियां अपनी उन जड़ों से नाइट्रोजन चूसती रहती हैं। वायु मंडल में ऑक्सीजन (प्राण वायु) की मात्रा 21 प्रतिशत है, जो लगभग 1/5 भाग हैं। उपर्युक्त पंचभूतों का एक भाग ऑक्सीजन (प्राण वायु) है। यह ऑक्सीजन सजीव प्राणियों के जीवन का मुख्य स्रोत है। यह ऑक्सीजन जल में भी विद्यमान है, जिसका समीकरण-H,0 अर्थात H = हाइड्रोजन तथा 0 = ऑक्सीजन है। क्योंकि अन्य ग्रहों पर ऑक्सीजन नहीं है, अतः वहां जीवन भी नहीं है। वायु मंडल में कार्बन बहुत अल्प मात्रा में (0.03 प्रतिशत) है। कार्बन मोनोक्साइड (CO) तथा डायऑक्साइड (CO)इन दो स्वरूपों में मिलता है। अधिकतर वनस्पतियां दिन के समय वातावरण में व्याप्त कार्बनडायऑक्साइड का शोषण करती हैं तथा ऑक्सीजन बाहर निकालती हैं। किंतु, रात्रि के समय इसके सर्वथा विपरीत क्रिया होती है, जब वे ऑक्सीजन को चूसती हैं तथा कार्बनडायऑक्साइड को बाहर छोड़ती हैं। कार्बनडायऑक्साइड हमारे शरीर के लिए हानिप्रद है, अतः रात को पेड़ों के नीचे सोना नहीं चाहिए। वास्तु या भवन के ईशान कोने में अत्यंत मंगलदायी (शुभ) अल्ट्रावायलेट किरणें आती रहती हैं। यदि इस कोने में गंदगी रहेगी, तो उससे निकलनेवाली कार्बनडायऑक्साइड, नाइट्रोजन तथा अन्य आवश्यक गैसें उन शुभ लौकिक किरणों को दूषित कर देंगी। भवन के समीप श्मशान नहीं होना चाहिए, क्योंकि मृतक शरीर की दाह क्रिया से निकलने वाली कार्बन तथा अन्य निषिद्ध गैसें मानव जीवन पर बुरा प्रभाव डालती हैं। वातावरण में हीलियम, हाइड्रोजन तथा अन्य गैसों के साथ-साथ आर्द्रता, वाष्प तथा धूलि कण आदि भी मिलते हैं। 'शब्द' और 'स्पर्श' वायु महातत्व के दो विशेष गुण हैं। स्पर्श से संवेदना, संवेदना से चेतना (स्पर्श ज्ञान) और चेतना से प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। प्रतिक्रिया से इसको एक अर्थ (अभिप्राय) मिलता है और वह शुभ-अशुभ फल प्रदान करता है। इनका परिणाम होता है संस्कार उत्पन्न करना, जो जीवन को एक दिशा (आचार-विचार) प्रदान करते हैं। इन्हीं आचार-विचारों के कारण मानव का मस्तिष्क (बुद्धि) और मन कार्य करते हैं। वस्तुतः मानवता को अनंत शक्तियों से मिलने वाली वायु एक अमूल्य उपहार है। मकान में वायु का प्रवेश द्वार एवं खिड़कियों से होता http://www.Apnihindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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