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________________ प्रश्न : क्या कागज, या प्लास्टिक के पिरामिड मंत्रपूत हो कर प्राण प्रतिष्ठायुक्त नहीं हो सकते? उत्तर : कागज और प्लास्टिक के पिरामिड चैतन्य शक्ति से युक्त नहीं हो सकते। प्रश्न : क्या लकड़ी के पिरामिड भी काम में लिये जा सकते हैं? उत्तर : अवश्य ! परतुं शास्त्रविहीन पवित्र वृक्षों की लकड़ियां ही पिरामिड हेतु उपयोग में लायी जा सकती है, निदित वृक्ष नहीं। प्रश्न: मिस्र में लकड़ी के पिरामिड क्यों नही बने ? उत्तर : वहां संपूर्ण रेगिस्तान है। वर्षा होती ही नहीं । अतः वृक्षों की बाहुल्यता है ही नहीं। आज भी वहां का 97 प्रतिशत भूभाग रेगिस्तान है। प्रश्न : लकड़ी के पिरामिडों का प्रचलन ज्यादा क्यों नहीं है? उत्तर : लकड़ी का आयुष्य धातु की तुलना में नगण्य है। फिर लकड़ी सड़ जाती है। इसमें कीड़े लग जाते हैं। इसमें कीड़े लगने से इसका चूर्ण बन जाता है अतः लकड़ी के पिरामिडों का विकृत होने का खतरा बना रहता है लकड़ी वर्षा ऋतु एवं सूर्य की प्रचंड गर्मी दोनों को धारण करने में ज्यादा सक्षम नहीं होती। फिर यह कुसंचालक (Non-conductor of Electricity) होती है अतः इसकी नोक (Pyramid top) से सूर्य की ऊर्जा रश्मियां शीघ्रता से पिरामिड के भीतरी भाग में प्रवेश नहीं कर पाती, जबकि धातु एवं पत्थर सूर्य की ऊर्जा रश्मियों के सुसंचालक होते हैं। प्रश्न: क्या कूर्मपृष्ठीय या मेरुपृष्टीय श्री यंत्र पिरामिड की जगह काम में लिये जा सकते हैं? उत्तर : अवश्य ! क्योंकि ये अनंत पिरामिड शक्ति से युक्त होते हैं और पिरामिड चिकित्सा के आधार पर ही बने हैं। प्रश्न: क्या कूर्मपृष्ठीय श्री यंत्र पिरामिड की तरह चैतन्य शक्ति से युक्त हैं? होते उत्तर : कूर्मपृष्ठीय श्री यंत्र प्रायः पत्थर, सुवर्ण, रजत या सप्त धातु से बने होते हैं। अग्नि गर्भ होते हैं। मंत्रपूत होते हैं । फलतः चैतन्य शक्ति से युक्त होते हैं । नित्य पूजे जाते हैं। अतः साधारण पिरामिड से ज्यादा चमत्कारी होते हैं। यह अनुभूत हैं । प्रश्न : पिरामिड चिकित्सा ज्यादा प्राचीन हैं, या भारतीय तंत्र प्रणीत श्री यंत्र चिकित्सा? उत्तर : स्वयं मिस्रवासी पिरामिडों को ईसा पूर्व 2600 वर्ष पुराना मानते हैं। अतः यह निश्चित है कि पिरामिड इससे अधिक पुराने नहीं हैं। 61 http://www.ApniHindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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