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________________ दायीं तरफ पूर्व एवं बाई तरफ पश्चिम दिशा में स्थापित कर सकते हैं। ईशान दिशा वाले कोने को पवित्र एवं श्रेष्ठ माना गया है। अतः टी. वी. के ईशान कोण में जो विज्ञापन आएंगे, वे ज्यादा प्रभावी एवं कामयाब होंगे। टी. वी. को हमेशा अग्नि कोण में ही रखना चाहिए। यदि सही अग्नि कोण संभव न हो, तो, बैठक के कमरे (Drawing Room) का ही अग्नि कोण ले कर, उस स्थल पर टी. वी. रखना चाहिए। टी. वी. से दर्शकों की दूरी कम से कम 7-8 फुट को होनी चाहिए। यह आदर्श दूरी है। इससे नेत्रों में विकार नहीं होगा। पिरामिड के बारे में जिज्ञासा : प्रश्न : पिरामिड किसे कहते हैं? उत्तर : पिरामिड का शाब्दिक अर्थ है 'सूच्याकार पत्थर का खंभा' कुछ लोगों ने इसको दो टुकड़ों में पिरा (Pyra) एवं मिड (Mid) में संधि विच्छेद कर इसका अर्थ दिया है त्रिकोणाकार ऐसी वस्तु, जिसके मध्य में अग्नि ऊर्जा के स्रोत का निर्माण होता है। प्रश्न : वास्तु शास्त्र के तत्वों में पिरामिड कौन से तत्वों में आता है? उत्तर : पिरामिड 'आकाश तत्व' के अंतर्गत स्पेस एनर्जी (Space Energy) में आता है और उसी हिसाब से घर में आकाश तत्व और प्रकाश को बढ़ाने के लिए इसको उपयोग में लिया जाता है। प्रश्न : क्या पिरामिड ठोस होता है? उत्तर : पिरामिड कभी ठोस नहीं होता। पिरामिड तो पृथ्वी पर भार हैं। उनका कोई महत्व नहीं। ऐसे तो बड़े-बड़े तिकोने पर्वत पृथ्वी पर खड़े हैं। उनमें कोई चमत्कार नहीं। पिरामिड का असली संबंध तो अंदर के (Space) आकाश तत्व एवं उसमें प्रवाहित होने वाली ऊर्जा से है। फिर पिरामिड ज्यामितीय सिद्धांतों एवं वास्तु सिद्धांतों पर खरे उतरने चाहिएं। तभी उनमें चमत्कारी शक्ति आएगी। प्रश्न : पिरामिड के अंदर कैसा अनुभव होता है? 59 http://www.Apnihindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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