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________________ हमारे पूर्वज सत्यखोजी ऋषि बहुत बड़े वैज्ञानिक थे। ऋषि शब्द का अर्थ है "ऋषियों रिसर्च कर्तार"। जो निरंतर सत्य एवं ज्ञान की खोज में शोध (रिसर्च) करते रहे, वे ही तो ऋषि कहलाये। ऋषि कभी गलत नहीं होते एवं शास्त्र कभी निष्फल नहीं होते। यह बात हमें वास्तु शास्त्र को पढ़ने के पहले खुले दिल और दिमाग से स्वीकार कर लेनी चाहिए। नास्तिकता मनुष्य का नकारात्मक गुण है; कृतघ्नता है। जो है उसको स्वीकार न करना नास्तिकता है। नास्तिकता से आज दिन तक किसी का भला नहीं हुआ। मनुष्य को ईश्वरीय शक्ति और देवत्व के प्रति सकारात्मक होना चाहिए एवं सदैव कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। तभी मानवीय सद्गुणों में वृद्धि होगी। प्रश्न : अधिकतर पूजा घर रसोई में होते हैं। क्या यह सही है? उत्तर : जिनके भी पूजा घर रसोई में हैं, वे सभी दुःखी एवं संतप्त हैं। उनके पूर्वज एवं भगवान दोनों ही उनसे नाराज रहते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि भगवान तो भाव एवं सुगंध के भूखे होते हैं। रसोई घर में जो कुछ भी आप पकाते हैं, उसकी दुर्गंध भगवान एवं आपके पूर्वजों दोनों को ही सूंघनी पड़ती है। आपका उनके प्रति निरंतर यह व्यवहार ठीक नहीं। प्रश्न : घर के पूर्वजों की तस्वीरें कहां होनी चाहिए? com उत्तर: 1. घर में मृतात्मा पूर्वजों के चित्र सदैव नैऋत्य कोण, या पश्चिम दिशा में लगाने चाहिएं। 2. घर का भारी सामान, अनुपयोगी वस्तुएं नैर्ऋत्य कोण में रखनी चाहिएं। 3. मृतात्मा का चित्र पूजन कक्ष में देवता के साथ लगाने से बचें। पूर्वज हमारे आदर और श्रद्धा के प्रतीक हैं। वे हमारे इष्ट देवता का स्थान नहीं ले सकते। प्रश्न : क्या हमारे पूर्वज ईश्वरतुल्य नहीं? पूर्वजों की तस्वीरें ईश्वर के आले 35 http://www.Apnihindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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