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________________ आस्था की ओर बढ़ते कदम भारत व विदेशों में हुए समारोह व कार्यक्रम व उपलब्धियों का वर्णन मैंने जैन एकता के माध्यम से किया है। एक बात और जिस पर मैं ध्यान आकर्षित करना चाहता हू. वह है जैन धर्म के इतिहास ग्रंथों का लेखन। जैन आचायों का इतिहास, जैन धर्म का मौलिक इतिहास ; आचार्य देशभूषण, जैन धर्म का मौलिक इतिहास ८ खण्ड में आचार्य श्री हस्तीमल जी ने तैयार करवाया। ३२ आगम का हिन्दी प्रकाशन ३ मुनि श्री मिनी मल जी के सम्पादन में व्यावर से प्रकाशित हुआ। श्री जम्बू विजय ने श्री महावीर जैन विद्यालय मुम्बई के माध्यम से कुछ आगम को शुरु रूप से टीका सहित छपवाया। कई संस्थाओं को गुजरात में गुजराती अनुवाद सहित आगम प्रकाशित किए। एल.डी. शोध संस्थान अहमदावाद, श्री पार्श्वनाथ जैन पीट वाराणसी, वैशाली जैन शोध संसथान प्राकृत भारती जयपुर, पच्चीसवीं महावीर जैन शताब्दी संयोजिका समिति पंजाब, भारतीय ज्ञान पीट दिल्ली, अहिंसा मंदिर दिल्ली, भाषाओं में साहित्य की बाढ़ आ गई। श्री आत्मा नंद जैन सभा भावनगर ने पत्राचार में अगमों का टीका, नियुक्तियां, चुर्णि, भाष्य प्रकाशित कर निशुल्क वांटे। आचार्य तुलसी व उनके शिष्यों ने अपना साहित्यक योगदान किया। जैन इतिहास पर हुए कार्य ने जैन धर्म, जाति, परम्परा संस्कृत का एक शाश्वत पहचान प्रदान की। यही पहचान ने जैन धर्म को उनकी इतिहासक विरासत व उनकी भारतीय साहित्य के योगदान के प्रति अवगत कराया। आज वही पहचान कार्य कर रही है, जैन धर्म जो वोद्ध धर्म के वाद भारत का अल्पसंख्क धर्म है, जिस की पहचान समाप्ति पर थी इस समिति में हुए कायों के कारण इस धर्म को नए प्राण मिले। जैन धर्म का विदेशों में प्रधम वार प्रचार प्रसार 87
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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