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________________ -आस्था की ओर बढ़ते कदा और उन्हें सुनने का सौभाग्य मिला। इसी मीटिंग में सेठ भोज राज जैन वठिण्डा को प्रधान घोषित किया गया। सेठ साहिब महान दान दाता थे। यह समारोह आचार्य आत्मा राम जी के जन्म महोत्सव पर किया गया था। भण्डारी जी के शिष्य श्री अमर मुनि जी को सुनने का प्रथम अवसर था। सरकारी समिति की ओर बढ़ते कदम हमारी समिति ने निश्चय किया था कि पंजाब सरकार से समिति का गठन कराना हमारा पहला कार्य होगा। यह कार्य काफी कटिन धा। हमें सही रास्ते का पता नहीं था। किस से पत्र व्यवहार करना है ? किस से मिलना है, समझ से परे था। यही शताब्दी में भारत सरकार वहुत से महापुरूषों की शताब्दियां मना चुकी थी। भारत सरकार महात्मा बुद्ध की शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय स्तर मपर पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में मनाई थी। इसी वर्ष समस्त वुद्ध आगमों का हिन्दी लिपिांतर सरकार ने सुलभ करवाया। फिर गुरू गोविन्द सिंह, गुरू नानक, महात्मा गांधी की शताब्दी भारत सरकार अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाई थी। सारा जैन समाज इसी भावना के साथ कार्य कर रहा था। परन्तु जैन समाज के एक वर्ग ने इस शताब्दी कमेटी को दिल्ली हाई कोर्ट तक ले गया। विपक्षी लोगों ने ३ याचिकाएं इस आधार पर सरकार के खिलाफ डाल दी कि भारत सरकार को महावीर निर्वाण महोत्सव मनाने का कोई अधिकार नहीं। यह देश धर्म निरपेक्ष है। भारत सरकार को न तो समिति गठित करने का अधिकार है न समिति को धन देने का अधिकार है। जैन जिस ढंग से चाहे अपने धर्म का प्रचार करें। अपनी इस जनहित याचिका में उन्होंने गुजरात के जैन आचार्यों को साथ रखा जो प्रधानमंत्री 66
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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