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________________ - स्था की ओर बढ़ ... सुपार्श्वनाथ की है, २८वीं टोंक व २६वां शिखर द्वितीय तीर्थकर भगवान अजीत नाथ का है. जहां उनकी टोंक स्थापित है । ३०वीं शिखर पर २२वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ मोक्ष गये थे । ३१वीं टोक २३वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ की है. जो सबसे ऊची टोक है । यह प्रभु पार्श्वनाथ की समाधि , है, यह टोक दोमंजिल की है । यहां से खड़े होकर मधुदन का नजारा देखने योग्य है, पहाड़ से नीचे निहारते है तो सारे मंदिरों की निर्माण शैली व कला अत्यन्त मनोरम लगत है. सारे मन्दिरके कलश ऐसे लगते है, जैसे धरती पर देवदिनान उतर आये हों, यहां यात्रा सम्पूर्ण होती है । यह एक डाक-बंगला है । मधुवन के ऊपर समेदशिखर पहाड़ मुकुट के आकार का प्रतीत होता है । पहाड़ी परिवेश, सघन वन. नैसर्गिक सौन्दर्य आत्मा को शांति प्रदान करता है । मधुवन पर बहुत से मुनियों सनधि मरण ग्रह का पंडित मरण प्राज किया है, वहां पर अनेकों मुनियों,. श्रा की समाधियां भी हैं । यहां मधुवन में निर्माण कार्य चल रहता है । कभी पुराने मन्दिरों का जीणोद्वार हो रहा है, कहीं नये मन्दिर व धर्मशालाएं बन रही है, अनेकों आचार्य. साधु, साध्वी भारत के कोने-कोने से इस तीर्थ की यात्रा के लिये आते हैं । वहां एक दर्जन से अधिक धर्मशालाएं हैं . यहां १५०० यात्री आराम से ठहर सकते हैं । यहां होली के पर्व पर मेला लगता है, जिस पर यात्री व यहां के लोग उत्साह से भाग लेते हैं । इन धर्मशाला में पर्याप्त मात्रा में प्रचार सामग्री प्राप्त होती है, इसमें साहित्य, प्रतिमा, माला व ऑडियो कैलेट पर्याप्त मात्रा में मिलती है, यहां अच्छा वर, बैंक की सुविधा है, यहां स्थानक वासी मुनि श्री नवीन घ» जी म० में 351
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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