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________________ आस्था की ओर बढ़ते कम चंद्रानंन शाश्वत तीर्थंकर को है, पांचवीं २१वे तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान की है, छठी टोंक अठाहरवें तीर्थक् अरहनाथ की है । सातवीं टोंक १६ वें तीर्थकर श्री मल्लिन भगवान की है । आठवीं टोंक ११ वें तीर्थंकर श्री श्रेयांसन की है, वीं टोक तीर्थंकर श्री सुविधिनाथ जी की है । दसवीं टोंक छठे तीर्थंकर श्री पद्मप्रभु जी की है । ११वीं टोंक २८वें तीर्थंकर श्री मुनि सुव्रत स्वामी की है । १२वीं टोंक तीर्थकर चन्द्रप्रभु की है । यह टोंक एक स्वतंत्र पहाड़ी पर है, सी चढ़ाई है । कई लोग इस टोक को भाव- वन्दन ही कर प हैं, वहां से चढ़ाई कठिन हो जाती है । यहां बन्दरों भरमार है । १३वीं टोंक प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की है. १४वीं टोंक श्री अनंतनाथ भगवान की है, १५वीं टोक , श्री शीतलनाथ भगवान की है । १६वीं टोंक तीसरे तीर्थक भगवान सम्भव नाथ की है । १७वीं टोंक १२वें तीर्थंकर श्री वासुपूज्य की है, १८वीं टोंक चौथे तीर्थंकर श्री अभिनन्दन स्वामी की है । यहां से जलमंदिर की दूरी कम रह जाती है यह स्थान तीनों तरफ से जलकुण्डों से घिरा हुआ है । १६वीं शिखर पर भगवान पार्श्वनाथ का जलमंदिर है. यहां धर्मशाला व पूजा के लिये अच्छी व्यवस्था है । यह यात्रा का मध्य है, यहां यात्री स्नान करके पूजा करते हैं । यहां कुछ आराम भी करते हैं । यहां से हम स्वयं को पर्वत की चोटियों से घिरा रहता है । २०वें शिखर पर गणधर गोत्तन स्वामी के चरण हैं, २१ वें शिखर पर १५ वें तीर्थंकर श्री धर्मनाथ की टोकें हैं । २२वीं टोंक शाश्वत तीर्थकर वारिप्रेन की है, २३वीं टोंक शाश्वत तीर्थंकर वर्धमान की है, २४वीं टोंक श्री सुमति नाथ की है, २५वीं टोंक १६ वें तीर्थंकर श्री भगवान शांन्तिनाथ की है । २६वीं टोंक श्री महावीर स्वामी की टोंक है जो २४वें तीधंकर थे २४वें तीर्थंकर थे । २७वीं टोंक श्री 350
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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