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________________ - - आस्था की ओर बढ़ते कदम जी से इस ढंग से विरोधता की कि पंजाब सरकार को वुच्चड़खाना जो बन चुका था, उस का लाईसेंस रद्द करना पड़ा। पर दूसरी पार्टी के कोर्ट में जाने के कारण उसे स्टे मिल गया। ऐसे महापुरूष के बडे-बडे ग्रंथों में से एक पुस्तक चुनना मुश्किल कार्य था जो सरल भाषा में जैन धर्म का परिचय प्रदान करे। मुझे इस संदर्भ में यह जैन धर्म दर्शन पुस्तक उपयुक्त लगी। अव कम्पयूटर का युग आ चुका था। हम ने दोनों इस ग्रंथ का अनुवाद अपनी रविवारीय मीटिंग में मात्र दो महीने में कर डाला। पंजाबी साहित्य की प्रसिद्ध संस्था लोक गीत प्रकाशन सरहिंद ने इस पुस्तक को प्रकाशित करने का जिम्मा लिया। मैं इस प्रकाशन संस्था को पंजाव की सर्वश्रेष्ट संस्था मनाता हूं। हम यह ग्रंथ टाईप करवा कर आचार्य श्री को समर्पित किया। आचार्य भगवान वोले “वेटा ! यह प्रकाशन का कार्य तुम्हें ही सम्पन्न करना है, हम प्रदेसी पंजाबी जानते नहीं।" । आचार्य श्री का समस्त जीवन, जैन धर्म के प्रति श्रद्धा, विनय व आस्था की जीती जागती मिसाल था। उनका गौर वर्ण, मध्य कद, शुद्ध हिन्दी उच्चारण सबके मन को भाता था। वह बहुत तपस्वी आत्मा थे। आचार्य आत्मा राम जी महाराज के वाद समाज को आप जैसा श्रुतधर आचार्य मिला था। वह सव जैन सम्प्रदायों की एकता में विश्वास रखते थे। अपने व्यक्तित्व से वह हर प्राणी को प्रभावित करते थे। ऐसे महापुरूष की आज्ञा को पूरा करने का हमें सौभाग्य मिला। यह जीवन की महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। इस वात को हर कभी नहीं भूलेंगे। सब से बड़ी बात जो बहुत उल्लेखनीय है इस ग्रंथ का विमोचन अवसर था। इस समयं आचार्य श्री देवेन्द्र 185
SR No.009994
Book TitleAstha ki aur Badhte Kadam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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